श्रीसद्गुरु साईं बाबा के मूल मराठी भाषा में वचन
शिरडीस ज्याचे लागतील पाय।।
टळती अपाय सर्व त्याचे।।1।।
माझ्या समाधीची पायरी चढ़ेल।।
दुख है हरेल सर्व त्याचे।।2।।
जरी हे शरी गेलो मी टाकून।।
तरी मी धांवेन भक्तांसाठी।।3।।
नवसास माझी पावेल समाधी।।
धरा दृढ़ बुद्धि माइया ठायी।।4।।
नित्य मी जिवंत जाणा हेंची सत्य।।
नित्य घ्या प्रचीत अनुभवें।।5।।
शरण मज आला आणि वाया गेला।।
दाखला दाखवा ऐसा कोणी।।6।।
जो जो मज भजे जैशा जैशा भवें।।
तैसा तैसा पावें मीही त्यासी।।7।।
तुमचा मी भार वाहीन सर्वथा।।
नव्हे हें अन्यथा वचन माझे।।8।।
जाणा येथे आहे सहाय्य सर्वांस।।
मागे जे जे त्यास ते ते लाभे।।9।।
माझा जो जाहला काया-वाचा-मनीं।।
तयाचा मी ऋणी सर्वकाळ।।10।।
साईं म्हणें तोचि, तोचि झाला धन्य।।
झाला जो अनन्य माइया पायी।।11।।
अगले पन्ने पर हिन्दी में...
FILE |
साईं के हिन्दी में 11 वचन-
1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा।
2. चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पाव तले दुख की पीढ़ी पर।
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु भागा आऊंगा।
4. मन में रखना पूरण विश्वास, करे समाधि पूरी आस।
5. मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो।
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए।
7. जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप रहा मेरे मन का।
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा।
9. आ सहायता ले भरपूर, जो मांगा वह नहीं है दूर।
10. मुझमें लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया।
11.धन्य-धन्य वे भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य।