विश्वास में है बड़ी शक्ति
साइमन नामक एक भक्त ने प्रभु ईसा मसीह को भोजन के लिए अपने घर आमंत्रित किया। उनके आने के कुछ ही देर बाद मैगडलन नामक एक नगर-महिला भी अंदर आई। उसने ईसा के चरण पकड़े, धोकर उन पर तेल मला। उसके नेत्रों से अश्रु झरने लगे। यह देख साइमन को गुस्सा आ गया। मैगडलन दुश्चरित्र थी और उसने उसके घर में प्रवेश करके ईसा को स्पर्श कर दिया था। वह सोचने लगा कि यदि ईसा भगवान के दूत होंगे तो मैंगडलन को पापिनी समझकर भगा देंगे।इतने में ईसा बोले, 'साइमन! मुझे तुमसे कुछ कहना है।''
कहिए, श्रीमान्!' साइमन ने कहा। ईसा बोले, 'एक महाजन से एक व्यक्ति ने पाँच सौ और दूसरे ने पचास सिक्के का ऋण लिया, किंतु वे ऋण अदा न कर सके। तब महाजन को उन दोनों पर दया आई और उसने दोनों को ऋणमुक्त कर दिया। अब बताओ, उन दोनों में से महाजन को कौन अधिक चाहेगा?''
मेरे विचार से जिसने पाँच सौ सिक्के का ऋण लिया था।'
बिलकुल ठीक विचार हैं तुम्हारे! ईसा बोले, 'मैंने तुम्हारे घर में प्रवेश किया, तब तुमने मुझे केवल पधारने को कहा, किंतु इस देवी ने, जिसे तुम पापिनी समझते हो, अपने अश्रुओं से मेरे चरण धोये और केशों से पोंछे। तुमने शरीर पर लगाने को तेल तक नहीं दिया, किंतु उसने स्वयं तेल से मेरे पैरों की मालिश करके मेरी थकावट दूर की। मेरा दृढ़ विश्वास है कि श्रद्धा और पवित्रता से पूर्ण इस निष्काम सेवा के कारण इसके सारे पाप धुल गए हैं। यह कहकर उन्होंने साइमन की शंका दूर की। वे मैगडलन से बोले, 'तुम्हारे पाप क्षमा कर दिए गए हैं, देवी!''
मगर आपमें दूसरों के पापों को क्षमा करने की शक्ति है कहाँ?' उपस्थित लोगों ने ईसा से प्रश्न किया। इधर मैगडनल रो रही थी। उसके हृदय के पश्चाताप का प्रताप नयनों से प्रवाहित हो रहा था। ईसा बोले,'यदि किसी व्यक्ति को अपने पापों के लिए पश्चाताप हो, तो कोई भी व्यक्ति उसके पापों को क्षमा कर सकता है। इस देवी का यह विश्वास कि संत और महात्मा की सेवा से पाप नष्ट हो जाएँगे, विश्वास में पड़ी शक्ति होती है। यह सत्य की शक्ति होती है। इससे परमात्मा मिल जाते हैं।