Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जैन सिद्ध क्षेत्र बावनगजा

हमें फॉलो करें जैन सिद्ध क्षेत्र बावनगजा

भीका शर्मा

धर्मयात्रा में हम इस बार आपको लेकर चल रहे हैं विश्व प्रसिद्ध जैन सिद्ध क्षेत्र बावनगजा (चूलगिरि) में। यहाँ हाल ही में चतुर्थ महामस्तकाभिषेक संपन्न हुआ है। मध्यप्रदेश के बड़वानी शहर से 8 किमी दूर स्थित इस पवित्र स्थल में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेवजी (आदिनाथ) की 84 फुट ऊँची उत्तुंग प्रतिमा है। सतपुड़ा की मनोरम पहाडि़यों में स्थित यह प्रतिमा भूरे रंग की है और एक ही पत्थर को तराशकर बनाई गई है। सैकड़ों वर्षों से यह दिव्य प्रतिमा अहिंसा और आपसी सद्भाव का संदेश देती आ रही है।
फोटो गैलरी के लिए क्लिक करें


  भारत की सबसे बड़ी प्रतिमा का निर्माण कब हुआ था, इस बात का कहीं भी उल्लेख नहीं है परंतु इस बात के प्रमाण हैं कि प्रतिमा 13वीं शताब्दी के पहले की है। एक शिलालेख के अनुसार संवत 1516 में भट्टारक रतनकीर्ति ने बावनगजा मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।      
इतिहास : सतपुड़ा की तलहटी में स्थित भारत की सबसे बड़ी प्रतिमा का निर्माण कब हुआ था, इस बात का कहीं भी उल्लेख नहीं है, परंतु इस बात के प्रमाण हैं कि प्रतिमा 13वीं शताब्दी के पहले की है। एक शिलालेख के अनुसार संवत 1516 में भट्टारक रतनकीर्ति ने बावनगजा मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और बड़े मंदिर के पास 10 जिनालय बनवाए थे

मुस्लिम राजाओं के शासनकाल में यह प्रतिमा उपेक्षा का शिकार रही तथा गर्मी, बरसात और तेज हवाओं के थपेड़ों से काफी जर्जर हो गई। जब दिगंबर जैन समुदाय का ध्यान इस ओर गया तो उन्होंने भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों और इंजीनियरों के साथ मिलकर प्रतिमा के जीर्णोद्धार की योजना बनाई। विक्रम संवत 1979 में प्रतिमा का जीर्णोद्धार हुआ और तब इसकी लागत करीब 59000 रुपए आई। इसके फलस्वरूप प्रतिमा के दोनों ओर गैलरी बना दी गई और इसे धूप और बरसात से बचाने के लिए इस पर 40 फुट लंबे और 1.5 फुट चौड़े गर्डर डालकर ऊपर ताँबे की परतें डालकर छत बना दी गई।

webdunia
WDWD
प्रतिमा का आकार : कुल ऊँचाई 84 फुट
दोनों हाथों के बीच का विस्तार 26 फुट
हाथ की लंबाई 46 फुट 6 इंच
कमर से एड़ी की लंबाई 47 फुट
मस्तिष्क की परिधि 26 फुट
पैर की लंबाई 13 फुट 9 इंच
नाक की लंबाई 3 फुट 3 इंच
आँख की लंबाई 3 फुट 3 इंच
कान की लंबाई 9 फुट 8 इंच
दोनों कानों के बीच की दूरी 17 फुट 6 इंच
पैरों की चौड़ाई 5 फुट 3 इंच
पहाड़ी के शिखर पर चूलगिरि मंदिर स्थित है और इस मंदिर को सिद्ध भूमि भी कहा जाता है

महामस्तकाभिषेक : करीब 17 वर्ष बाद संपन्न यह महामस्तकाभिषेक समारोह 20 जनवरी से 4 फरवरी तक चला और इस दौरान लाखों श्रद्धालुओं ने यहाँ पहुँचकर इस दिव्य दृश्य को अपने नेत्रों में कैद किया

महामस्तकाभिषेक में जल, दूध और केसर का प्रयोग किया गया। दुग्धाभिषेक में जब दूध की धाराएँ आदिनाथजी के मस्तक से उनके चरणों की ओर बढ़ीं तो श्रद्धालु भक्ति में भावविभोर हो गए और भजन की धुनों पर नाचने लगे। वहीं केसर-अभिषेक ने संपूर्ण प्रतिमा का स्वरूप केसरिया कर दिया। हर कोई इस पवित्र अवसर का लाभ लेना चाहता था

बावनगजा के वैभव ने सबको चकाचौंध कर दिया था और भक्ति, आस्था और आश्चर्य अपने चरम को छू रहे थे। इस आकर्षण से बावनगजा क्षेत्र के वनवासी भी अपने आप को दूर नहीं रख सके और पहाड़ों पर जिसे जहाँ जगह मिली वहीं बैठकर इस भव्य दृश्य को निहारते रहे

webdunia
WDWD
सौंदर्य : बड़वानी से बावनगजा तक का रास्ता सुंदर पहाड़ियों के बीच से गुजरता है। बरसात के दिनों में कई प्राकृतिक झरने फूट पड़ते हैं जिससे बावनगजा का प्राकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है। अधिकांश पर्यटक बरसात के दिनों में बावनगजा के सौंदर्य से सम्मोहित होकर यहाँ खिंचे चले आते हैं। हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने बावनगजा (चूलगिरि) को धार्मिक पर्यटन स्थल भी घोषित किया है

कैसे जाएँ : इंदौर (155 किमी), खंडवा (180 किमी) से बस एवं टैक्सी सुविधा उपलब्ध।
निकटतम एयरपोर्ट : देवी अहिल्या हवाई अड्डा इंदौर (155 किमी)

कहाँ ठहरें : बावनगजा में पहाड़ी की तलहटी में 5 धर्मशालाएँ हैं जिनमें करीब 50 कमरे हैं। यहाँ से 8 किमी दूर स्थित बड़वानी में ठहरने के लिए हर वर्ग की सुविधा के अनुसार होटल और धर्मशालाएँ हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi