Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

उज्जैन महाकाल मंदिर का संपूर्ण परिचय और इतिहास

हमें फॉलो करें History of Mahakal Temple
webdunia

वृजेन्द्रसिंह झाला

Introduction of Mahakal Temple: मध्यप्रदेश की कुंभ नगरी उज्जैन में क्षिप्रा नदी के पास 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर बाबा का मंदिर है। यह ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रमुख है। यहीं पर 2 शक्तिपीठ भी स्थित है। महान विक्रामादित्य की नगरी में स्थित इस शिवलिंग की प्राचीनता के बारे में कोई नहीं जानता है।
आशुतोष भगवान महाकालेश्वर अपने भक्तों एवं संतजनों के उद्धार के लिए उज्जयिनी में स्वयंभू शिवलिंग के रूप में विराजित हैं। धर्मयात्रा की इस कड़ी में हम आपको लेकर चल रहे हैं मध्यप्रदेश के प्राचीनतम नगर अवंतिका यानी उज्जैन की यात्रा पर... 

अवन्तिकायां विहितावतारम् मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहं सुरेशम्।।
 
भारत के हृदयस्थल मध्यप्रदेश के उज्जैन में पुण्यसलिला क्षिप्रा के निकट भगवान शिव महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं। इसकी गणना देश के प्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंगों में की जाती है। शिवपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर योगेश्वर श्रीकृष्ण के पालक नंदबाबा की आठ पीढ़ी पूर्व का है। महाकालेश्वर को पृथ्‍वी का अधिपति भी माना जाता है। महाकालेश्वर को पृथ्वीं का अधिपति भी माना जाता है। इस संबंध में एक श्लोक भी है... 

आकाशे तारकं लिंग पाताले हाटकेश्वरम्।
मृत्युलोके महाकालं लिंगत्रयं नमोस्तुऽते॥

इस मंदिर का पुनर्निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन इसके 140 वर्ष बाद मुस्लिम आक्रमणकारी इल्तुतमिश ने इसे क्षतिग्रस्त कर दिया था। वर्तमान मंदिर मराठाकालीन माना जाता है। इसका जीर्णोद्धार तत्कालीन सिंधिया राज्य के दीवान बाबा रामचंद्र शैणवी ने करवाया था।
 
ऐसी मान्यता है कि उज्जयिनी का एक ही राजा है और वे हैं भूतभावन महाकालेश्वर। यही वजह है कि पुराने समय से ही कोई राजा उज्जैन में रात्रि विश्राम नहीं करता और ना ही राजा की तरह महाकालेश्वर के दर्शन करता है।

webdunia

महाकालेश्वर मंदिर एक विशाल परिसर में स्थित है, जहां कई देवी-देवताओं के छोटे-बड़े मंदिर हैं। गर्भगृह में भगवान महाकालेश्वर का विशाल और विश्व का एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग है और इसकी जलाधारी पूर्व की तरफ है, जबकि दूसरे शिवलिंगों की जलाधारी उत्तर की तरफ होती है। साथ ही महाकालेश्वर मंदिर के शिखर के ठीक ऊपर से कर्क रेखा भी गुजरती है, इसलिए इसे पृथ्वी का नाभिस्थल भी माना जाता है।
 
ज्योतिष और तंत्र-मंत्र की दृष्टि से भी महाकाल का विशेष महत्व माना गया है। साथ ही गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की मनमोहक प्रतिमाएं हैं। महाकाल मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण है भोलेनाथ की भस्म आरती, जो प्रात: 4 से 6 बजे तक होती है। 
गर्भगृह में नंदी दीप भी स्थापित है, जो सदैव प्रज्जवलित रहता है। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में नंदी की विशाल प्रतिमा स्थापित है। इस कक्ष में बैठकर हजारों श्रद्धालु शिव आराधना का पुण्यलाभ लेते हैं। मंदिर परिसर में ही एक विशाल कुंड है, जिसे कोटितीर्थ के नाम से जाना जाता है। महाकालेश्वर परिसर में कई दर्शनीय मंदिर हैं। इनमें नागचंद्रेश्वर मंदिर वर्ष में एक बार नागपंचमी के दिन ही श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोला जाता है। 
जानिए महाकाल मंदिर के विशेष उत्सव एवं पर्व

महाकाल मंदिर के विशेष उत्सव एवं पर्व : यूं तो महाकाल मंदिर में वर्षभर उत्सव का ही माहौल रहता है, लेकिन विशेष अवसरों पर यहां विशेष उत्सवों का आयोजन होता है। श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को राजाधिराज महाकाल की विशेष सवारी निकलती है, जब महाकालेश्वर नगर भ्रमण कर नगरवासियों को दर्शन देते हैं। वैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन सवारी यानी हरि (विष्णु) और हर (शिव) का मिलन होता है।  फाल्गुन कृष्ण पंचमी या षष्ठी से महाशिव रात्रि तक शिव नवरात्रि के दौरान भगवान शिव का विशेष श्रृंगार किया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन विशेष उत्सव होते हैं। 
webdunia
 

महाकालेश्वर की आरती का समय : 
प्रात: 4 से 6 बजे तक भस्म आरती
प्रात: 7.30 से 8.15 बजे तक नैवेद्य आरती
सायं 5 बजे से जलाभिषेक बंद
सायं 6.30 बजे से 7 बजे तक संध्या आरती
रा‍त्रि 10.30 बजे शयन आरती

 
महाकाल मंदिर परिसर में स्थित अन्य मंदिर : महाकालेश्वर मंमिदर परिसर में और भी ऐसे मंदिर तथा देव प्रतिमाएं हैं, जो श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र हैं। इनमें लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर, ऋद्धि-सिद्धि गणेश, विट्ठल पंढरीनाथ मंदिर, श्रीराम दरबार मंदिर, अवंतिका देवी, चंद्रादित्येश्वर, मंगलनाथ, अन्नपूर्णादेवी, वाच्छायन गण्पति, औंकारेश्वर महादेव, नागचंद्रेश्वर महादेव (वर्ष में एक बार नागपंचमी के दिन ही मंदिर के पट खुलते हैं), नागचंद्रेश्वर प्रतिमा, सिद्धि विनायक मंदिर, साक्षी गोपाल, संकटमोचन सिद्धदास हनुमान मंदिर, स्वप्नेश्वर महादेव, बृह्स्पतिश्वर महादेव, त्रिविष्टपेश्वर महादेव, मां भद्रकाली मंदिर, नवग्रह मंदिर, मारुतिनंदन हनुमान, कोटितीर्थ कुंड, श्रीराम मंदिर, नीलकंठेश्वर महादेव, गोविंदेश्वर महादेव, सूर्यमुखी हनुमान, लक्ष्मीप्रदाता मोढ़ गणेश मंदिर, स्वर्णजालेश्वर महादेव, शनि मंदिर, कोटेश्वर महादेव, अनादिकल्पेश्वर महादेव, चंद्र-आदित्येश्वर महादेव, वृद्धकालेश्वर महादेव, सप्तऋषि मंदिर, श्री बालविजय मस्त हनुमान आदि प्रमुख हैं। 
 

कैसे पहुँचें उज्जैन : 
उज्जैन पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्‍डा इंदौर का देवी अहिल्या एयरपोर्ट है, जो कि उज्जैन से करीब 60 किलोमीटर दूर है। 
सड़क और रेलमार्ग के जरिए भी उज्जैन आसानी से पहुंचा जा सकता है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi