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गणपति बप्पा मोरिया

गणेशजी को अर्पण ग्यारह लाख मोदक

हमें फॉलो करें गणपति बप्पा मोरिया
- श्रुति अग्रवाल
ॐ गं गणपतयै नमो नमः
सिद्ध‍ि विनायक नमो नमः
अष्ट विनायक नमो नमः
गणपति बप्पा मोरिया...

गणेशोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। पूरा देश गणेश भक्ति से ओत-प्रोत है। शिवपुत्र गजानन के जन्मदिवस पर हम आपको दर्शन करा रहे हैं इंदौर के खजराना मंदिर के। खजराना मंदिर को गणेश भगवान का स्वयंभू मंदिर माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 1735 में किया गया था।

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पुरातत्ववेत्ताओं का मानना है कि यह मंदिर परमारकालीन है...कहा जाता है कि औरंगजेब के आक्रमण के समय विनायक की मूर्ति खंडित होने से बचाने के लिए उसे मंदिर के कुएँ में डाल दिया गया था।
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कहा जाता है कि मंगल भट्ट नामक पुरोहित को अकसर एक सपना आता था। सपने में विघ्नविनाशक गणपति उनसे विनती करते थे कि मुझे बाहर निकालो। इस सपने से व्यथित मंगल भट्टजी ने अहिल्या माता के दरबार में अपना सपना सुनाया। राजमाता अहिल्याजी ने सपने में बताए स्थान (कुआँ) की खुदाई करवाने के निर्देश दिए। काफी खुदाई के बाद कुएँ से गणपति बप्पा की मूर्ति निकली, जिसे इस मंदिर में स्थापित किया गया।

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Shruti AgrawalWD
मूर्ति की स्थापना के साथ-साथ ही इस मंदिर को सिद्ध मंदिर माना जाने लगा। माना जाता है कि यहाँ विघ्न विनायक का जाग्रत स्वरूप वास करता है, जो भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करता है। यहाँ मान्यता है कि अपनी मुराद मन में रखे कोई व्यक्ति यहाँ धागा बाँधे तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त यहाँ बँधे हजारों धागों में से किसी भी एक धागे का बंधन खोल देता है।

मंदिर का परिसर काफी भव्य और मनोहारी है। परिसर में मुख्य मंदिर के अलावा अन्य देवी-देवताओं के 33 छोटे-बड़े मंदिर और है। मुख्य मंदिर में गणेशजी की प्राचीन मूर्ति है। इसके साथ-साथ शिव-शंभु और दुर्गा माँ की मूर्तियाँ हैं।

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मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए भालचंद्र भट्ट महाराज पिछले चालीस सालों से उपवास कर रहे हैं। इस दौरान वे सिर्फ 150 ग्राम मूँगफली और एक पाव दूध का ही सेवन कर रहे हैं।
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तैंतीस अन्य मंदिरों में अनेक देवी-देवताओं का वास है। मंदिर परिसर में ही पीपल का पुराना वृक्ष है। वृक्ष को भी मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इस वृक्ष की परिक्रमा अवश्य करते हैं। इसके साथ ही यह वृक्ष हजारों तोतों का रैनबसेरा है। इनका कलरव यहाँ की संध्या को बेहद खूबसूरत बना देता है।

इस मंदिर की खासियत यहाँ का सर्वधर्म समभाव है। हिन्दू हो या मुस्लिम या फिर किसी और धर्म का बाशिंदा, यहाँ मुराद माँगने जरूर आता है। अनेक लोग वाहन खरीदने के बाद उसे मंदिर जरूर लेकर आते हैं। मंदिर में गणेशजी से जुड़े हर उत्सव को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। हर बुधवार को यहाँ मेला भरता है। इस साल गणेशोत्सव के समय यहाँ ग्यारह लाख मोदकों का प्रसाद चढ़ाया गया।

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मंदिर के निर्माण के समय से इस मंदिर की देखरेख पुरोहित मंगल भट्ट का परिवार ही कर रहा है। कुछ साल पहले विवादों के चलते इस मंदिर को जिला प्रशासन के अंतर्गत कर दिया गया है। अब शहर कलेक्टर के निर्देश पर एक समिति बनाई गई है, जो मंदिर की देखरेख करती है। इस समिति में भट्ट परिवार अपना सक्रिय योगदान देता है। वर्तमान में भट्ट परिवार के मुखिया भालचंद्र भट्ट महाराज इस मंदिर की देखरेख कर रहे हैं। मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए उन्होंने लगातार कई साल उपवास किया है। आज भी मुख्य अवसरों पर वयोवृद्ध भालचंद्र भट्ट स्वयं अपने इष्ट की पूजा करते हैं।

कब जाएँ - इस मंदिर के दर्शन के लिए आप यहाँ कभी भी आ सकते हैं। मंदिर के पास हर बुधवार को मेला भरता है, लेकिन यदि आप मंदिर में विशेष आयोजन देखना चाहते हैं, तो गणेश चतुर्थी के पर्व का समय चुनिए। इस समय यहाँ खास पूजा का आयोजन होता है। इस दिन गणेशजी को विशेष नैवेद्य चढ़ाया जाता है।

कैसे जाएँ- इंदौर को मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी माना जाता है। यह देश के एक प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग (आगरा-मुंबई) से जुड़ा हुआ है। आप देश के किसी भी हिस्से से यहाँ सड़क, रेल या वायु मार्ग से आसानी से पहुँच सकते हैं।

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