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देखिए अनोखा इलाज...

जहाँ इलाज के लिए मारी जाती है लात

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- श्रुति अग्रवाल
लातों के भूत बातों से नहीं भागते....आपने यह कहावत कई बार सुनी होगी, लेकिन क्या लात-घूँसों से इलाज देखा है। जी हाँ, आस्था और अंधविश्वास की इस कड़ी में हम आपको इलाज का यही अजीबोगरीब तरीका दिखा रहे हैं, जिसमें छत्तीसगढ़ का मनसाराम निसाद नामक व्यक्ति मरीजों को लात, घूँसे और थप्पड़ मारकर उनका इलाज करता है।

वीडियो देखने के लिए फोटो पर क्लिक करें और फोटो गैलरी देखने के लिए यहां क्लिक करें-

ब हमें इस बाबद जानकारी मिली तो हमने रुख किया छत्तीसगढ़ की ओर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 75 किलोमीटर दूर और धमतरी शहर से पैंतीस किलोमीटर दूर लाड़ेर नामक गाँव में यह व्यक्ति इलाज के इस अजीबोगरीब तरीके को अंजाम देता है।

जब हम लाड़ेर गाँव पहुँचे तो हमने देखा कि मनसाराम से इलाज कराने के लिए हजारों की तादाद में लोग वहाँ जमा थे। कुछ ही देर में मनसाराम यहाँ आकर एक पेड़ के नीचे बैठ गए और फिर एक के बाद एक बीमार लोगों को लातें, थप्पड़ आदि मारना शुरू कर दिए। मरीज लाइन में लगे अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे।

मनसाराम का दावा है कि वह किसी भी तरह की लाइलाज बीमारी को ठीक कर सकता है। मनसाराम ने हमें बताया कि पहले वह एक किसान था, लेकिन तीन साल पहले माँ ने स्वप्न में दर्शन देकर लोगों के दु:ख-दर्द ठीक करने का आदेश दिया। बस तब ही से अजीबोगरीब तरीके से इलाज का यह सिलसिला जारी है। अपने इन दावों के साथ मनसाराम कई अन्य दावे भी करते हैं जैसे वे सालभर से भोजन नहीं कर रहे हैं। हर देवी-देवता की शक्ति प्राप्त कर सकते हैं इत्यादि।

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हमने मनसाराम से इलाज करवाने आए कई लोगों से बातचीत की। इनमें से अधिकांश यहाँ पहली बार आए थे। उन्हें परिचितों से मनसाराम के इलाज के बारे में पता चला था। मनसाराम हर मरीज को तीन बार अपने यहाँ बुलाते हैं। वे बताते हैं बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए मरीज को तीन बार उनसे उपचार करवाना जरूरी है

बातचीत के दौरान हमें कुछ ऐसे भी लोग मिले जो मनसाराम के इलाज के बाद ठीक होने का दावा कर रहे थे, लेकिन हमें ये दावे प्रचार तंत्र का हिस्सा नजर आए। मनसाराम के अनुयायी बता रहे थे कि मनसाराम सारा इलाज निःशुल्क करते हैं लेकिन हमने देखा कि वे इलाज के पैसे तो नहीं लेते लेकिन उन्हें खासा चढ़ावा मिल जाता है। फिर उनके पास मरीज को एक बार नहीं तीन बार जाना होता है।

इसलिए चढ़ावा भी तीन बार मिलता है। यहाँ भीड़ इतनी उमड़ती है कि मनसाराम की बैठक के पास लगने वाले चाय-नाश्ते के होटल वालों की चाँदी हो गई है।

वे रोज दो से तीन हजार रुपए की कमाई कर लेते हैं। हमने पाया कि मनसाराम से इलाज करवाने वाले अधिकांश लोग अनपढ़-गरीब हैं जिन्हें स्वास्थ्य सुविधाओं की ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं है। इसलिए मनसाराम के दर पर चले आते हैं। आप इस संबंध में क्या सोचते हैं हमें बताइएगा।

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