Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

आश्चर्य! यहां के शिवलिंग का आकार लगातार बढ़ रहा है...

हमें फॉलो करें आश्चर्य! यहां के शिवलिंग का आकार लगातार बढ़ रहा है...
, शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016 (00:03 IST)
-श्रुति अग्रवाल
चत्कारिक है देवास महाकालेश्वर मंदिर
क्या भगवान अपने भक्तों के कल्याण के लिए स्वयं प्रकट होते हैं? एक सजीव व्यक्ति की तरह क्या मूर्तियों का भी आकार बढ़ता है? क्या चमत्कार वास्तविक होते हैं? ये कुछ ऐसे अबूझ प्रश्न हैं, जिनका जवाब कोई नहीं जानता, लेकिन हर धर्म के अनुयायी कभी न कभी ऐसे चमत्कारों से कथित तौर पर रूबरू जरूर होते हैं। कभी किसी वृक्ष में उन्हें अपने ईष्ट नजर आते हैं, तो कभी प्रसाद अपने आप गायब हो जाता है। इस बार आस्था और अंधविश्वास की अपनी प्रस्तुति में हम ऐसे ही एक मंदिर में पहुंचे। अब इस मंदिर से जुड़ा यह चमत्कार आस्था है या कोरा अंधविश्वास, यह आप ही तय कीजिए।
मंदिर में प्रतिष्ठित लिंग काफी कुछ उज्जैन के महाकाल के शिवलिंग की तरह ही लग रहा था...बस यह बात अजीब थी कि जहां महाकाल का शिवलिंग क्षरण के कारण लगातार घट रहा है वहीं लोगों का दावा है कि यहां का शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है। आस्था और अंधविश्वास की इस कड़ी में हम आपको रूबरू करवा रहे हैं देवास के महाकालेश्वर मंदिर से। इस मंदिर से हजारों लोगों की आस्था जुड़ी है। मंदिर के आसपास रहने वाले और यहां नियम से दर्शन करने आने वाले लोगों का कहना है कि यहां का शिवलिंग न सिर्फ स्वयंभू है, बल्कि हर साल इसकी ऊंचाई लगातार बढ़ रही है, जो अपने आप में एक चमत्कार है। इस चमत्कार की बात सुनकर हमने मंदिर से जुडे़ हुए लोगों से संपर्क किया।
 
जब हम मंदिर में पहुंचे तो कुछ श्रद्धालु शिवभक्ति में लीन थे। इन लोगों को विश्वास था कि यहां मांगी गई मनौतियां जरूर पूरी होंगी। मंदिर में प्रतिष्ठित लिंग काफी कुछ उज्जैन के महाकाल के शिवलिंग की तरह ही लग रहा था। बस यह बात अजीब थी कि जहां महाकाल का शिवलिंग क्षरण के कारण लगातार घट रहा है, वहीं लोगों का दावा है कि यहां का शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है।
 
देखें वीडियो...
मंदिर के समीप रहने वाले राधाकृष्ण मालवीय का कहना है कि वे बचपन से इस शिवलिंग की आराधना करते आए हैं। उन्होंने खुद इस शिवलिंग को आकार बदलते अर्थात बढ़ते हुए देखा है। इनका दावा है कि हर शिवरात्रि के दिन यह शिवलिंग एक तिल के आकार का बढ़ जाता है। शुरू में तो किसी को भी पता नहीं चला था, परंतु चार-पांच साल बाद सभी को अहसास होने लगा कि शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है। अब इसकी ऊंचाई लिंग के मूल रूप की तुलना में काफी बढ़ चुकी है। इस शिवलिंग के स्वयंभू होने के पीछे भी एक कथा है।
 
पढ़िये अगले पन्ने पर रोचक सत्य कहानी...

कहते हैं आज से लगभग सौ साल पहले जब देवास एक गांव था और यहां यातायात के अच्छे साधन नहीं थे, उस समय गौरीशंकर पंडित नामक व्यक्ति महाकाल के परम भक्त थे। वे रोज सुबह महाकाल के दर्शन करने के बाद ही अन्न ग्रहण करते थे। उनका यह नियम अटूट था। एक बार मूसलधार बारिश होने के कारण देवास-उज्जैन मार्ग का नाला उफन गया और वे उज्जैन नहीं जा पाए।
webdunia
'अपने आराध्य के दर्शन नहीं कर पाने के कारण गौरीशंकरजी ने अन्न-जल त्याग दिया। इस बार बारिश ने रुकने का नाम नहीं लिया और गौरीशंकर जीवन के अंतिम क्षण गिनने लगे। वे मृत्यु के करीब ही थे कि तभी उन्हें भोलेशंकर ने दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। गौरीशंकर ने प्रभु से नित्य दर्शन का वरदान मांगा। प्रभु ने आशीर्वाद दिया कि जहां भी वे पांच बिल्वपत्र रखेंगे वहीं महाकाल प्रकट होंगे।'
 
इस संयोग के बाद ही देवास के इस टीले पर स्वयंभू भगवान प्रकट हुए। ग्रामीणों ने यहां मंदिर का निर्माण करवा दिया। उसके बाद यह मंदिर जनआस्था का केंद्र बन गया। इस संयोग के कुछ साल बाद लोगों ने महसूस किया कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है। तब इसे चमत्कार माना जाने लगा। यहां आने वाले लोगों का दावा है कि शिवलिंग शिवरात्रि के दिन एक तिल बढ़ जाता है। 
 
इस मंदिर की सेवा समिति के सदस्य भीमसिंह पटेल बताते हैं कि वे पिछले कई सालों से सेवा समिति में शामिल हैं। इस दौरान उन्होंने लगातार इस शिवलिंग को बढ़ते हुए देखा है। वे दावा करते हैं कि यह चमत्कारिक शिवलिंग है, जिसका आकार लगातार बढ़ रहा है। इस बात का प्रमाण देने के लिए उन्होंने हमें शिवलिंग का पुराना फोटो दिखाया। पीले पड़ चुके इस फोटो में शिवलिंग का आकार वर्तमान के शिवलिंग के आकार से छोटा लग रहा था।
 
यहां का शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है। इस बात को हम सिर्फ तस्वीर के आधार पर सही नहीं ठहरा सकते, क्योंकि तस्वीर से शिवलिंग के अतीत की ऊंचाई का सही पता नहीं चलता है। वैसे भी हमने देखा है कि कुछ लोग चमत्कार की बातें फैलाकर भोले-भाले लोगों को ठगते हैं। वैसे भी एक तिल इतना छोटा होता है कि उसे तुरंत नाप पाना संभव नहीं है।
 
साथ ही ऐसे चमत्कारों के बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि है कि कई जगह भूगर्भीय क्रियाओं के कारण भी शिवलिंग में हलकी बढ़त हो सकती है। कुछ इसी प्रकिया से समतल जगह पर कई साल बाद टीले खड़े हो जाते हैं। वहीं यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि जहां आस्था की बात आती है, वहां शक की गुंजाइश नहीं रहती।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चार ऋण होते हैं, पितृऋण सबसे भयानक असर देता