कुछ भारतीय पत्रिकाओं ने बाबा से जुड़ी इन किंवदंतियों को चमत्कार का रूप दिया, तो कभी छल-कपट का नाम दिया। कई बार बाबा को धूर्त की संज्ञा दी गई। कुछ लोगों ने स्वर्ण नियंत्रण एक्ट के तहत बाबा पर स्वर्ण के भौतिकीकरण का आरोप लगाया था, पर इस मुकदमे को आध्यात्मिक आधार पर खारिज कर दिया गया। अक्टूबर 2007 में बाबा ने घोषणा की थी कि वे चंद्रमा पर प्रकट होने वाले हैं और श्रद्धालुओं को उनके साथ स्थानीय हवाई अड्डे तक उनका अनुसरण करने का निवेदन किया। मगर चंद्रमा पर बादलों के घिर जाने के कारण बाबा यह चमत्कार करने में असमर्थ रहे और एक घंटे तक इंतजार करने के पश्चात उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा।
निराश श्रद्धालुओं के आक्रोश को बहुत मुश्किल से रोका जा सका। वहीं दूसरी ओर कुछ बुद्धिजीवियों ने दावा किया कि बाबा सिर्फ लोकप्रियता बढ़ाने के लिए इस चमत्कार का दावा कर रहे थे। इसके जवाब में बाबा ने सिर्फ इतना ही कहा कि ‘मैं ईश्वर हूँ और आप लोग भी ईश्वर हैं। मुझमें और आप लोगों में अंतर मात्र इतना है कि मैं इस तथ्य को जानता हूँ और आप लोग नहीं जानते हैं।’आप इस विषय पर क्या सोचते हैं?