-श्रुति अग्रवाल न धुआँ, न भभूत, न बड़े-बड़े बोल और न ही भगवा चोला। किस्से-कहानियों और किंवदंतियों को खंगालने की हमारी इस कोशिश में इस बार हम आपको मिलवा रहे हैं एक ऐसी शख्सियत से, जिसका दावा है कि वह साँप-बिच्छू का जहर अपनी मंत्रशक्ति से उतार सकता है, वह भी सिर्फ फोन पर।
यह बात पढ़कर आप चौंक गए न। हम भी इसी तरह चौंके थे। क्या ऐसा हो सकता है? क्या यह सच है? कोरी बकवास लगती है। ऐसे ही कई विचार हमारे दिमाग में भी घुमड़ने लगे थे। फिर क्या था, हमने शुरू किया सफर इस दावे की तह तक पहुँचने का। सफर की शुरुआत हुई इंदौर की रामबाग कॉलोनी से। यहाँ पहुँचकर हमने जहर उतारने वाले बाबा के बारे में जानकारी जानना चाही। जहर उतारने वाले बाबा। यह सुन पंक्चर बनाने वाला मुन्नू हँसने लगा और हमें रास्ता दिखाते हुए पुलिस क्वार्टर्स तक ले गया।
Shruti Agrawal
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पुलिस क्वार्टर!! और जहर उतारने वाला बाबा, बात कुछ जँची नहीं। हमें लगा कि मुन्नू महाशय हमें 'मामा' बना रहे हैं। हमने पास से गुजरने वाले एक आरक्षक से यही बात पूछी। उन्होंने बताया, जी हाँ, यहीं तो हेड साहब रहते हैं। फिर बातों ही बातों में पता चला कि यशवंत भागवत नामक यह व्यक्ति पुलिस महकमे में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं और पिछले 25 सालों से फोन पर साँप का जहर उतारते हैं।
जानकारी मिलते ही हम मुखातिब हुए यशवंत भागवत से। भागवतजी ने बताया पहले वे मरीज से रूबरू होने पर ही उसका जहर उतार सकते थे, लेकिन बाद में मंत्रों में कुछ शब्दों का हेरफेर कर फोन पर ही जहर उतार लेने की विधि ईजाद कर ली। इस बात की जानकारी फैलते ही यशवंत भागवत का फोन लगातार घनघनाने लगा।
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अपने हुनर की खासियत बताते हुए श्री भागवत कहते हैं कि वे पीड़ित व्यक्ति से उसका, उसकी माँ का नाम और उसके रहने का पता पूछते हैं। फिर मंत्रोच्चार द्वारा जहर उतारने की अनूठी विद्या शुरू करते हैं। जब उन्हें लगता है कि जहर पूरी तरह से उतर चुका है तो वे मरीज को नारियल फोड़ने के लिए कहते हैं। इसके बाद मरीज को नमक चटाया जाता है। यदि मरीज को नमक का स्वाद खारा लगता है तो जहर उतरा माना जाता है।
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इस विद्या के बारे में जानकारी मिलने के बाद हमने तलाशना शुरू किया ऐसे व्यक्ति को, जिसका यशवंतजी ने इलाज किया हो। इस तलाश के दौरान हमारी मुलाकात हुई सरमन गोयल से। पेशे से अध्यापक सरमनजी ने बताया कि मुझे ऐसी बातों पर कतई विश्वास न था। एक सुबह झाड़ू लगाते हुए मुझे साँप ने काट लिया। मैं दौड़ा-दौड़ा भागवतजी के पास गया। उन्होंने मंत्र फूंका और कुछ ही देर में जहर की जलन शांत हो गई। मैं आज भला-चंगा हूँ तो भागवतजी की कृपा से।
सरमनजी अकेले नहीं, ऐसे सैकड़ों पीड़ित लोग हैं, जिनका विश्वास है कि भागवतजी अपनी मंत्र-शक्तियों के जरिए सर्पदंश का इलाज कर देते हैं। यमराज के लेखपाल चित्रगुप्त की तरह भागवतजी ने भी अपने द्वारा इलाज किए लोगों का लेखा-जोखा अपने रजिस्टर में लिख रखा है। इस लेखे-जोखे से तीन रजिस्टर भर चुके हैं। भागवतजी हर काम ऊपर वाले के नाम पर करते हैं, इसलिए वे एक पैसा लेना भी पाप समझते हैं। वे कहते हैं मैं कुछ नहीं करता, करने वाले तो साँई-राम हैं।
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यशवंत भागवत से जुड़ा एक किस्सा बताते हैं राजस्थान के जमील साहब। जमीलजी की एसटीडी-पीसीओ की दुकान है। एक बार उन्हें अपने दोस्त से भागवतजी का नंबर मिला। इन्होंने आजमाने के लिए एक सर्पदंश से पीड़ित महिला का इलाज फोन द्वारा भागवतजी से करवाया। यहाँ भागवतजी ने मंत्र पढ़े, वहाँ पीड़िता का दर्द गायब हो गया। नागपंचमी के दिन जन्मे यशवंतजी यूँ तो बवासीर, साइटिका, पीलिया जैसी बीमारियों का इलाज भी करते हैं, लेकिन उनकी पहचान साँप का जहर उतारने वाले के रूप में ज्यादा है।
यशवंतजी की इस अनूठी विद्या को मानने वालों में आम लोगों के साथ-साथ पुलिस महकमा भी शामिल है। पुलिस महकमे में रिजर्व इंस्पेक्टर के पद पर आसीन प्रदीपसिंह चौहान भी अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं कि मेरे सरकारी आवास और ऑफिस दोनों में ही लगातार साँप दिखाई दिया करते थे। घर, आफिस में लोग खासे भयभीत होने लगे थे। तब किसी ने मुझे भागवतजी के बारे में बताया। उनके अनुष्ठान करने के बाद इनके घर और आफिस में साँप दिखाई देना बंद हो गए हैं।
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एक तरफ भागवतजी की विद्या का सम्मान करने वाले बहुत लोग हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस विद्या को पूरी तरह से नकारते हैं। इन्हीं लोगों में शामिल हैं महाराजा यशवंतराव अस्पताल के मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अशोक वाजपेई। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए डॉक्टर वाजपेई कहते हैं कि “ हमारे देश में 70 प्रतिशत साँपों में जहर होता ही नहीं है। कई लोगों की मौत की वजह जहर नहीं, बल्कि साँप के काटने का भय होता है। इस किस्से में भी ऐसा ही हो सकता है। हो सकता है कि जिस साँप ने काटा हो, वो जहरीला ही न हो या फिर काँटा चुभने पर भी महसूस हो कि साँप ने काटा है। मेरा मानना है कि साँप काटने के बाद उसका इलाज करवाना चाहिए, न कि इस तरह की झाड़-फूँक।”
जहाँ कई लोग डॉक्टर साहब की हिदायत को मानते हैं, वहीं अनेक ऐसे भी हैं, जो इसे नकारते हैं। इनमें से कुछ का दावा है कि भागवतजी उन्हें मौत से लौटाकर लाए हैं। अब ये वर्दी वाले बाबा तो यही कहते हैं कि 0731-2535534 पर फोन लगाइए और क्या सही है, क्या गलत है, खुद जान जाइए।