Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

गजानन महाराज का शेगाँव

- हरीश शाह

Advertiesment
हमें फॉलो करें गजानन महाराज का शेगाँव
ND
गजानन महाराज की समाधि महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के शेगाँव में स्थित है। बाबा श्री की जागृत समाधि को सितंबर 2010 में सौ वर्ष पूर्ण हो जाएँगे। समाधि स्थल पर प्रतिदिन लगभग 25 से 30 हजार लोग दर्शन करने आते हैं।

मान्यता है कि भारत में एकमात्र ऐसा समाधि स्थल है जहाँ किसी भी वीआईपी के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। सभी को लाइन में खड़े रहकर ही दर्शन करना होंगे। शायद तभी वीआईपी लोग गजानन महाराज के दरबार में कम ही जाते हैं।

प्राकट्‍य : गजानन महाराज का जन्म कब हुआ, उनके माता-पिता कौन थे, इस बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं। पहली बार गजानन महाराज को शेगाँव में 23 फरवरी 1878 में बनकट लाला और दामोदर नमक दो व्यक्तियों ने देखा। एक श्वेत वर्ण सुंदर बालक झूठी पत्तल में से चावल खाते हुए 'गं गं गणात बूते' का उच्चारण कर रहा था। 'गं गं गणात बूते' का उच्चारण करने के कारण ही उनका नाम गजानन पड़ा।

इंद्रिय संयम : महाराज का अपनी इंद्रियों पर भी पूर्ण नियंत्रण था। एक बार जब महाराज दिगंबर होकर तपस्या कर रहे थे तब एक स्त्री उन पर मोहित होकर उनके पास गई, लेकिन उसने देखा कि महाराज के तेज से नीचे रखी घास भस्म हो गई है। उस स्त्री को महाराज के प्रति गलत भाव रखने का बहुत पछतावा हुआ और उसने क्षमा माँगी।

गजानन महाराज के चित्र में उन्हें चिलम पीते हुए दिखाया जाता है। महाराज नियमित चिलम पीया करते थे, लेकिन उन्हें चिलम पीने की लत नहीं थी। माना जाता है कि वे अपने बनारस के भक्तों को खुश करने के लिए चिलम पीया करते थे।
webdunia
WD


चमत्कार : गजानन महाराज चमत्कारी महापुरुष थे। उनके कई चमत्कारों को भक्तों ने प्रत्यक्ष देखा है। एक बार महाराज आँगन कोट में भ्रमण कर रहे थे। तेज गर्मी के कारण उन्हें प्यास लगी। उन्होंने वहाँ से गुजर रहे भास्कर पाटिल से पानी माँगा, लेकिन उसने पानी देने से मना कर दिया। तभी महाराज को वहाँ कुआँ दिखा जो 12 वर्षों से सूखा पड़ा था। महाराज कुएँ के पास जाकर बैठ गए और ईश्वर का जाप करने लगे। जाप के तप से कुआँ पानी से भर गया। इस तरह बहुत से चमत्कार उनके भक्तों के बीच प्रसिद्ध है।

समाधि : शेगाँव के गजानन महाराज नाथ संप्रदाय के बहुत ही पहुँचे हुए दिगंबर संत थे। समाधि के करीब एक माह पूर्व उन्होंने पंढरपुर में श्रीविठ्ठल के समक्ष समाधि लेने का निर्णय लिया। समाधि लेने का विचार जब उन्होंने भक्तों को बताया तो उनके भक्तों में उदासी छा गई, लेकिन उन्होंने सभी को समझाया और समाधि का दिन नियुक्त किया।

गजानन महाराज ने अपनी समाधि का स्थान व समय अपने सभी भक्तों को बताया और उन्हें उपस्थित रहने को कहा। वह गणेश चतुर्थी का दिन था। उस पूरे दिन महाराज बहुत प्रसन्न थे और उन्होंने अपने भक्तों से बातें की और उन्हें समझाया कि वे सादा उनके साथ रहेंगे और अंत में बाळा भाऊ को अपने करीब बैठने के लिए कहा और 'जय गजानन' कहते हुए अंतिम साँस ली।

मान्यता अनुसार 8 सितंबर 1910 प्रात: 8 बजे उन्होंने शेगाँव में समाधि ले ली। माना जाता है कि बाळा भाऊ की मृत्यु के उपरांत नंदुरगाँव के नारायण के स्वप्न में महाराज ने दर्शन दिए और मठ की सेवा करने का आदेश दिया।

webdunia
WD
समाधि स्थल : जहाँ बाबा ने समाधि ली थी वहाँ आज एक विशाल मंदिर है। यह मंदिर काफी विशाल परिसर में बना है तथा महाराज की सामधि के दर्शन करने के लिए लंबी कतर लगती है। मंदिर परिसर में गजानन महाराज की प्रतिमा के अलावा समाधि स्थान, पादुका, महाराज का चिमटा, औजार, चिलम पीने का स्थान (जो आज भी गर्म रहता है) और प्राचीन हनुमान प्रतिमा मौजूद है। मंदिर में व्यवस्था काफी अच्छी रखी गई है। बहुत से सेवक अनुशासनबद्ध तरीके से मंदिर की व्यवस्था को बनाए रखने में जुटे दिखाई देते हैं।

आनंद सागर : शेगाँव में 1908 में गजानन महाराज ट्रस्ट की स्थापना की गई। मुख्य मंदिर से करीब 2 किलोमीटर स्थित है आनंद सागर। यह भी गजानन महाराज ट्रस्ट का ही उद्यान, आध्यात्मिक स्थल व ध्यान केंद्र है।

webdunia
WD
325 एकड़ के क्षेत्र में बसे आनंद सागर सुंदर, सुसज्जित, प्राकृतिक स्थल से परिपूर्ण है जिसमें करीब 50,000 अलग-अलग प्रकार के वृक्ष, विभिन्न प्रकार के फूल और हजारों लताएँ हैं। इसमें 50 एकड़ क्षेत्र में एक विशाल तालाब बनाया गया है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। तालाब के मध्य में टापू नुमा स्थान पर ध्यान केंद्र बनाया गया है, जो विवेक आनंद केंद्र (कन्याकुमारी) का प्रतिरूप है।

बच्चों के खेलने के लिए झूले, फिसलपट्टियाँ और रेलगाड़ी है जो कि संपूर्ण क्षेत्र का भ्रमण कराती है। इसके अलावा म्यूजिकल फाउंटेन, फिश म्युजियम और बहुत से छोटे-बड़े मंदिर हैं जो लोगों को आकर्षित करते हैं। संपूर्ण क्षेत्र का भ्रमण करने के लिए 3 से 4 घंटे का समय लगता है। ध्यान केंद्र तक जाने के लिए पैदल रास्ते के अलावा वॉटर बोट की व्यवस्था भी है। कुल मिलाकर यह एक बहुत ही सुंदर, रमणिक व आध्यात्मिक स्थान है।

इस क्षेत्र की प्रमुखता है, इसका रखरखाव जो देखते ही बनता है। हर 10 कदम पर गजानन महाराज ट्रस्ट का एक सेवक उद्यान की स्वच्छता का ध्यान रखने हेतु उपस्थित रहता है। उद्यान में पीने के स्वच्छ पानी की नि:शुल्क व अल्पाहार, भोजन आदि की उचित व्यवस्था शुल्क पर है।

webdunia
WD
नंदुरा के हनुमान : इसके अलवा शेगाँव से 50 किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित है नंदुरा के हनुमान की प्रतिमा जो कि करीब 100 फुट ऊँची है। नंदुरा शेगाँव से जलगाँव की ओर जाते समय खामगाँव से कुछ किलोमीटर आगे आता है। मूर्ति दर्शन हेतु गाँव में अंदर जाने की आवश्यकता नहीं है। हाईवे पर ही सड़क के किनारे मूर्ति स्थापित है।

पहुँचने के लिए : -
हवाई मार्ग : यहाँ के सबसे निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद में है जहाँ से शेगाँव लगभग 170 कि.मी दूर है।
रेल मार्ग : शेगाँव में रेल्वे स्टेशन है। मध्य रेल्वे का यह रेल्वे स्टेशन मुंबई-कोलकाता रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। महाराष्ट्र एक्सप्रेस, विधर्व एक्सप्रेस, नवजीवन एक्सप्रेस और हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस कुछ खास ट्रेनें हैं जो शेगाँव से होकर गुजरती है।
सड़क मार्ग : सड़क मार्ग से भी यह भारत के लगभग सभी बड़े शहरों से जुड़ा है।

श्री गजानन महाराज का शेगाँव

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi