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गुप्तेश्वर महादेव मंदिर

श्रीराम ने की थी गुप्त साधना

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भगवान भोले भंडारी की आराधना का पवित्र श्रावण माह चल रहा है। इस मौके पर भगवान आशुतोष का विशेष पूजन-अर्चन तथा रुद्राभिषेक आदि करने के साथ-साथ शिवालयों में ‍भोले बाबा का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। शिव महापुराण व रामायण में रेवा के तट पर स्थित गुप्तेश्वर महादेव का उल्लेख है। यहाँ पर भगवान श्रीराम-लक्ष्मण व जाबालि ऋषि ने भगवान शिवशिक्त के साक्षात दर्शन किए थे। गुप्तेश्वर महादेव सेतुबन्ध रामेश्वरम्‌ के उपलिंग हैं।

माँ रेवा के दोनों तट पर वैसे तो अनेक स्वयंभू सिद्घपीठ स्थापित हैं। पर शिवपुराण में जिस ज्योतिर्लिंग व उपलिंगों का वर्णन आया है उसके अनुसार जबलपुर का गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की महिमा अद्भुत है। ऐसी मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम-लक्ष्मण ने अपने वनवास काल के दौरान की थी।

भगवान सदाशिव माँ आदिशक्ति ने श्रीराम-लक्ष्मण व जाबालि ऋषि को इसी जगह साक्षात दर्शन दिए और फिर ज्योर्तिरूप में इस शिवलिंग में विराजमान हो गए। श्रीराम-लक्ष्मण अपने वनवास काल के दौरान गुप्त साधना के लिए सुतीक्षण आश्रम से दक्षिण दिशा में धारकुण्डी स्थित शरभंग ऋषि के आश्रम से माँ रेवा तट स्थित गुप्तेश्वर की पहाडि़यों पर आए, तो उन्हें यहाँ जाबालि ऋषि के दर्शन हुए।

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उन्होंने इस गुप्त पहाड़ी पर रेत के शिवलिंग का निर्माण किया और एक माह तक करपात्र के द्वारा माँ रेवा के जल से शिव का अभिषेक किया। भगवान शिव व आदिशक्ति ने प्रसन्न होकर श्रीराम-लक्ष्मण व जाबालि ऋषि को दर्शन दिए और कहा कि आपने रेवा तट में मेरी गुप्त साधना की है, इसलिए आज से इस शिवलिंग का नाम गुप्तेश्वर महादेव हो गया है। इसके बाद श्रीराम-लक्ष्मण ने रामटेक की ओर प्रस्थान किया।

1829 में पता चला गुप्त गुफा का- सन्‌ 1829 में तीन तरफ पत्थरों की बड़ी-बड़ी शिलाओं से घिरी पहाड़ी तालाब में परिवर्तित थी। उस समय यहाँ पर पंसारी समाज के लोग पान के बरेजे लगाया करते थे। उसी समय उनके बच्चे इस पहाड़ी में खेलने के लिए आते थे।

कुछ बच्चे गुप्तेश्वर महादेव की गुफा के पास खेल-खेल में खोद रहे थे कि अचानक गुफा अपने मूल रूप में आई और खसक गई। बच्चों ने जब गुफा को देखा तो डर गए। वे अपने बुजुर्गों को लेकर आए तब आम लोगों को पता चला कि ये स्थान तो भगवान शिव का है। उसी दिन से यहाँ पर भगवान शिव का पूजन-अर्चन होने लगा। तब से गुप्तेश्वर शिवलिंग के आकार में बढ़ोत्तरी हो रही है।

शिवपुराण में है उल्लेख- शिव महापुराण में ज्योतिर्लिंग के उपलिंगों का वर्णन आया है। उसमें 11वें ज्योतिर्लिंग सेतुबन्ध रामेश्वरम्‌ का उपलिंग रेवा तट पर स्थित गुप्तेश्वर नाम से दर्शाया गया है।

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