Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

स्वामी समर्थ रामदास संप्रदाय का मठ

रामदास के निर्देश पर स्थापित आबा महाराज मठ

Advertiesment
हमें फॉलो करें स्वामी समर्थ रामदास
- स्वामी वासुदेव महाराज
ND

सहसा ही किसी को इस बात पर यकीन हो कि समर्थ संप्रदाय एवं उनके विचारों के संवाहक राममंदिर आबा महाराज मठ के संस्थापकों में से एक लक्ष्मण स्वामी को समर्थ रामदास ने प्रत्यक्ष प्रकट होकर दर्शन दिए थे और इसी मठ के एक और मठाधिपति राघव स्वामी का यज्ञोपवीत संस्कार शिरगांव में समर्थ की गोद में हुआ था।

समर्थ संप्रदाय का यह मठ आज भी यहां संप्रदाय की परंपरा के मुताबिक संचालित हो रहा है।

समर्थ के स्थापित मठों के इतिहास पर नजर डाली जाए तो इस बात की पुष्टि होती है कि समर्थ के आदेश के पालन में दक्षिण और उत्तर भारत के बीच 'सेतु समन्वय' के लिए समर्थ रामदास के आदेश पर ही ग्वालियर में इस मठ का निर्माण हुआ था। वैसे इस संप्रदाय का एक मठ यहां वाईकर मठ के रूप में लक्ष्मीगंज में भी है।

ND
दाल बाजार के मठ को लक्ष्मण स्वामी के आदेश पर 1839 में परशुराम राजवाड़े ने स्थापित किया था और देखरेख के लिए आबा महाराज को सौंप दिया था।

मध्य भारत के इंदौर, उज्जैन, विदिशा में इस संप्रदाय के जो मठ हैं, उनमें इस मठ का विशिष्ट स्थान है। मठ के मौजूदा संचालकों का दावा है कि समर्थ साहित्य और उनसे जुड़ी हुईं बहुत-सी दुर्लभ वस्तुएं आज भी मठ में सुरक्षित हैं।

ND
इनमें 'दासबोध' की सव्वा तीन सौ वर्ष पुरानी हस्तलिखित वह प्रति भी उपलब्ध है, जिसे दत्तात्रेय स्वामी ने लिखा था। इसके अतिरिक्त लक्ष्मण स्वामी को स्वप्नादेश द्वारा प्राप्त सप्तधातु से बनी हनुमानजी की लगभग दो सौ वर्ष पुरानी और इतनी ही पुरानी समर्थ की एक तस्वीर यहां मंदिर में नित्य पूजा में रखी गई है। गौरतलब है कि इस तरह की तस्वीर पूरे भारत में तंजौर और सज्जनगढ़ के बाद केवल ग्वालियर में ही मौजूद है।

मठ में स्थापना के समय की परंपरा के मुताबिक आज भी रामनवमी, हनुमान जयंती, गुरु पूर्णिमा, सद्गुरु वासुदेव महाराज पुण्यतिथि और दास नवमी उत्सव मनाया जाता है। इस मठ की गणना उत्तर भारत के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में की जाती है और देश भर से श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए आते हैं।

वर्तमान मठ संचालक राघवेंद्र-उपेंद्र शिरगांवकर के अनुसार यह मठ समर्थ संप्रदाय का उत्तर भारत का प्रमुख मठ है। उपलब्ध जानकारी के मुताबिक समर्थ रामदास का इस मठ की स्थापना को लेकर विशेष अनुराग था। मठ में आज भी दो सौ से तीन सौ वर्ष पूर्व पुरानी समर्थ से जुड़ी सामग्री मौजूद है। जिसे देखने संप्रदाय में आस्था रखने वाले लोग देश भर से आते हैं।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi