यमुना नदी के पश्चिमी तट पर बसा विश्व के प्राचीन शहरों में से एक मथुरा प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है। इस शहर का इतिहास बहुत ही पुराना है। आओ जानते हैं मथुरा नगरी के बारे में 10 खास बातें।
1. सप्तपुरियों में से एक : भारत की सात प्राचीन नगरी अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अवंतिका और द्वारका में से एक है मथुरा। 500 ईसा पूर्व के प्राचीन अवशेष मिले हैं, जिससे इसकी प्राचीनता सिद्ध होती है।
2. शूरसेन जनपद की राजधानी : पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया गया है जैसे- शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा आदि। हरिवंश और विष्णु पुराण में मथुरा के विलास-वैभव का वर्णन मिलता है।
3. मधु की मथुरा : प्राचीन काल में यह शूरसेन देश की राजधानी थी। वाल्मीकि रामायण में मथुरा को मधुपुर या मधुदानव का नगर कहा गया है। लवणासुर मथुरा से लगभग साढ़े तीन मील दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित रामायण में वर्णित मधुपुरी का राजा था जिसे मधुवन ग्राम कहते हैं। यहां लवणासुर की गुफा है। लवणासुर का वध करके शत्रुघ्न ने मधुपुरी के स्थान पर नई मथुरा नगरी बसाई थी।
4. मांधाता की मथुरा : लवणासुर से पहले लवणासुर ने राम के पूर्वज मांधाता यौवनाश्व चक्रवर्ती सूर्यवंशी सम्राट से उनका राज्य छीन लिया था क्योंकि उसके पास भगवान शिव का अमोघ त्रिशूल था।
5. कृष्ण की मथुरा : रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व (अर्थात आज से 5123 वर्ष पूर्व) को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था।
5. मथुरा जिले में चार तहसीलें हैं :- माँट, छाता, महावन और मथुरा तथा 10 विकास खण्ड हैं- नन्दगांव, छाता, चौमुहां, गोवर्धन, मथुरा, फरह, नौहझील, मांट, राया और बल्देव। जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 3329.4 वर्ग कि.मी. है। मंदिर, कुंड, जंगल और घाटों के शहर मथुरा के आसपास बसे स्थानों में प्रमुख है, गोगुल, वृंदावन, ब्रज मंडल, गोवर्धन पर्वत, बरसाना, नंदगाँव और यमुना के घाट तथा जंगल।
6. मथुरा के बारह जंगल : वराह पुराण एवं नारदीय पुराण ने मथुरा के पास के 12 वनों की चर्चा की है- 1. मधुवन, 2. तालवन, 3. कुमुदवन, 3. काम्यवन, 5. बहुलावन, 6. भद्रवन, 7. खदिरवन, 8. महावन (गोकुल), 9. लौहजंघवन, 10. बिल्व, 11. भांडीरवन एवं 12. वृन्दावन। इसके अलावा 24 अन्य उपवन भी थे। आज यह सारे स्थान छोटे-छोटे गांव और कस्बों में बदल गए हैं।
7. मथुरा और उसके आसपास के प्रमुख मंदिर हैं- कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, सती बुर्ज, आदिवराह मंदिर, कंकाली देवी, कटरा केशवदेव मंदिर, कालिन्दीश्वर महादेव, दाऊजी मंदिर, दीर्घ विष्णु मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर, पद्मनाभजी का मंदिर, पीपलेश्वर महादेव, बलदाऊजी, श्रीनाथ जी भंडार आदि। प्रमुख कुंड में पोखरा का कुंड और शिवताल का महत्व ही अधिक है। प्रमुख घाटों में ब्रह्मांड घाट, विश्राम घाट और यमुना के घाट की सुंदरता देखते ही बनती है।
मथुरा से वृन्दावन की ओर जाने पर पागल बाबा का मंदिर, बांकेबिहारी मंदिर, शांतिकुंज, बिड़ला मंदिर और राधावल्लभ का मंदिर देखने लायक है। मथुरा से गोकुल की ओर ठकुरानी घाट, नवनीतप्रियाजी का मंदिर, रमण रेती, 84 खम्बे, बल्देव आदि दर्शनीय स्थल हैं।
मथुरा से गोवर्धन की ओर गोवर्धन, जतीपुरा, बरसाना, नन्दगांव, कामा, कामवन आदि स्थल देखने लायक है। मुख्यत: मथुरा में प्रमुख दर्शनीय स्थल है- कृष्ण जन्मभूमि, अंग्रेजों का मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर और विश्राम घाट। यमुना में नौका विहार और प्रातःकाल और सांयकाल में विश्राम घाट पर होने वाली यमुनाजी की आरती दर्शनीय है।
8. विश्राम घाट : विश्राम घाट या बहत ही सुंदर स्थान है, मथुरा में यही प्रधान तीर्थ है। यहां पर भगवान ने कंस वध के पश्चात विश्राम किया था। नित्य प्रातः-सायं यहां यमुनाजी की आरती होती है, जिसकी शोभा दर्शनीय है। इस घाट पर मुरलीमनोहर, कृष्ण-बलदेव, अन्नपूर्णा, धर्मराज, गोवर्धननाथ आदि कई मंदिर हैं। यहां चैत्र शुक्ल 6 (यमुना-जाम-दिवस), यमद्वितीया तथा कार्तिक शुक्ल 10 (कंसवध के बाद) को मेला लगता है।
9. कंस किला : मथुरा के राजा कंस को समर्पित यह किला मथुरा में स्थित एक बहुत प्राचीन किला है। किला लापरवाही की वजह आज जीर्ण-शीर्ण हो चुका है लेकिन आज भी यह किला मथुरा आने वाले पर्यटकों को रोमांचित करता है। इस किले का पुन: निर्माण राजा मानसिंह ने करवाया था।
10. मथुरा परिक्रमा : मथुरा परिक्रमा में होते हैं कृष्ण से जुड़े प्रत्येक स्थलों के दर्शन। माना जाता है कि यह परिक्रमा चौरासी कोस की है जिसके मार्ग में अलीगढ़, भरतपुर, गुड़गांव, फरीदाबाद की सीमा लगती है, लेकिन इसका अस्सी फीसदी हिस्सा मथुरा जिले में ही है।
मथुरा की यात्रा करने हेतु-
*हवाई मार्ग : मथुरा के सबसे नजदीन आगरा का हवाई अड्डा है जो वहां से 55 किलोमीटर दूर है।
*रेल मार्ग : मथुरा रेलवे स्टेशन काफी व्यस्त जंक्शन है और दिल्ली से दक्षिण भारत या मुम्बई जाने वाली सभी ट्रेनेमथुरा होकर गुजरती हैं।
*सड़क मार्ग : मथुरा में भारत के किसी भी स्थान से सड़क द्वारा पहुंचा जा सकता है। आगरा से मात्र 55 किलोमीटर दूर स्थित है मथुरा।
*ठहरने की व्यवस्था : रेलवे स्टेशन के आसपास कई होटल हैं और विश्राम घाट के आसपास कई कमखर्च वाली धर्मशालाएं उपलब्ध हैं।