Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Ganga Saptami 2021: गंगोत्री में शिवजी की जटाओं से नीचे उतरी थीं मां गंगा

हमें फॉलो करें Gangotri temple

अनिरुद्ध जोशी

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्गलोक से शिवशंकर की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष गंगा सप्तमी पर्व मंगलवार, 18 मई 2021 को मनाया जा रहा है। जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन 'गंगा दशहरा' (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है। आओ धरती के उस स्थान के बारे में जानते हैं जहां पर गंगा शिवजी की जटाओं में उतरने के बाद धरती पर उतरी थीं।
 
1. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में गंगोत्री नामक वह स्थान है जिसे गंगा नदी का उद्गम स्थल मानते हैं। यहां गंगा नदी ने धरती को छुआ था। ऋषि भागीरथ के प्रयास से गंगा पहले शिवजी की जटाओं में विराजमान हुई और फिर आगे गंगोत्री से मुख्य धारा बनाकर आगे बढ़ी।
 
 
2. किंतु उनका उद्गम गंगोत्री से 19 किलोमीटर और ऊपर श्रीमुख नामक पर्वत से है। वहां गोमुख के आकार का एक कुंड है जिसमें से गंगा की धारा फूटी है। कहते हैं कि शिवजी ने अपनी जटाओं से इस गौमुख में गंगा को छोड़ दिया था। 3,900 मीटर ऊंचा गौमुख गंगा का उद्गम स्थल है। इस गोमुख कुंड में पानी हिमालय के और भी ऊंचाई वाले स्थान से आता है। संभवत: वह स्थान जहां शिवजी विराजे हैं। नदी के स्रोत को भागीरथी कहा जाता है।
 
 
3. गंगोत्री को छोटा चार धाम यात्रा में से एक माना जाता है। उत्तराखंड में केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री चार धाम हैं. ये धाम साल के 6 महीने खुले रहते हैं' बाद में बारिश और बर्फबारी की वजह से इन्हें नवंबर के आसपास बंद कर दिया जाता है।
 
4. गंगोत्री में माता गंगा का एक पवित्र और प्राचीन मंदिर भी बना हुआ है। यह मंदिर 3100 मीटर (10,200 फीट) की ऊंचाई पर ग्रेटर हिमालय रेंज पर स्थित है। गंगा का मंदिर तथा सूर्य, विष्णु और ब्रह्मकुण्ड आदि पवित्र स्थल यहीं पर हैं।
 
 
5. भगवान श्री रामचन्द्र के पूर्वज रघुकुल के चक्रवर्ती राजा भगीरथ ने गंगोत्री में एक पवित्र शिलाखंड पर बैठकर भगवान शंकर की प्रचंड तपस्या की थी। देवी गंगा ने इसी स्थान पर धरती का स्पर्श किया। पवित्र शिलाखंड के पास ही 18वीं शताब्दी में गंगोत्री मंदिर का निर्माण किया गया। इसी जगह पर आदि शंकराचार्य ने गंगा देवी की एक मूर्ति की स्थापित की थी।
 
 
6. गंगोत्री से 19 किलोमीटर ऊपर, समुद्रतल से तकरीबन 3,900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गौमुख वहा स्थान है जिसे गंगोत्री ग्लेशियर का मुहाना तथा भागीरथी नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। कहते हैं कि यहां के बर्फिले पानी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।
 
7. गोमुख से निकलकर गंगा कई धाराओं में विभक्ति होकर कई नाम से जानी जाती है। प्रारंभ में यह हिमालय से निकलकर गंगा 12 धाराओं में विभक्त होती है। इसमें मंदाकिनी, भगीरथी, ऋषिगंगा, धौलीगंगा, गौरीगंगा और अलकनंदा प्रमुख है। यह नदी प्रारंभ में 3 धाराओं में बंटती है- मंदाकिनी, अलकनंदा और भगीरथी।
 
 
8. देवप्रयाग में अलकनंदा और भगीरथी का संगम होने के बाद यह गंगा के रूप में दक्षिण हिमालय से ऋषिकेश के निकट बाहर आती है और हरिद्वार के बाद मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है।
 
9. हरिद्वार को गंगा का द्वार भी कहा जाता है। यहां से निकलकर गंगा आगे बढ़ती है। इस बीच इसमें कई नदियां मिलती हैं जिसमें प्रमुख हैं- सरयू, यमुना, सोन, रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक, कोसी, घुघरी, महानंदा, हुगली, पद्मा, दामोदर, रूपनारायण, ब्रह्मपुत्र और अंत में मेघना। फिर यहां से निकलकर गंगा निकल गंगा पश्चिम बंगाल के गंगासागर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
 
 
10. यह नदी 3 देशों के क्षे‍त्र का उद्धार करती है- भारत, नेपाल और बांग्लादेश। नेपाल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल और फिर दूसरी ओर से बांग्लादेश में घुसकर यह बंगाल की खाड़ी में समा जाती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

लुप्त हो जाएगा बद्रीनाथ धाम, जानिए 10 रहस्य