Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सालभर में एक बार ही खुलते हैं मध्यप्रदेश के इस प्राचीन मंदिर के पट, जानिए क्यों? पढ़ें रोचक जानकारी

हमें फॉलो करें सालभर में एक बार ही खुलते हैं मध्यप्रदेश के इस प्राचीन मंदिर के पट, जानिए क्यों? पढ़ें रोचक जानकारी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बारह मासों में सबसे श्रेष्ठ मास कार्तिक माह को माना गया है। इस दिन कार्तिकेय के पूजन का विशिष्ठ महत्व है। कहा जाता है कि कार्तिकेय को भगवान विष्णु द्वारा धर्म मार्ग को प्रबल करने की प्रेरणा दी गई है। कार्तिकेय ने इसी आधार पर धर्मशास्त्र में भगवान विष्णु के दामोदर अवतार तथा अर्द्धांगिनी राधा का विशेष उल्लेख किया है।
 
यह महीना भगवान कार्तिकेय द्वारा की गई साधना का माह माना जाता है। इस कारण ही इसका नाम कार्तिक महीना पड़ा। इस दिन वर्षभर में एक बार खुलने वाले भगवान कार्तिकेय मंदिर के पट खुलते हैं। मध्यप्रदेश के संभवतः इकलौते प्राचीन मंदिरों में से एक ग्वालियर के गंगा मंदिर, जीवाजीगंज में स्थित है। 
 
शास्त्रों के अनुसार शंकर जी की आज्ञा के बाद जब भगवान श्री गणेश और कार्तिकेय पृथ्वी परिक्रमा के लिए गए थे। गणेश जी भारी-भरकम शरीर वाले होने के कारण एक जगह बैठ गए और कार्तिकेय मोर पर सवार होकर पृथ्वी परिक्रमा पर चले गए। कार्तिकेय काफी वर्षों तक भ्रमण करते रहे और परिक्रमा पूरी नहीं कर सकें। गणेशजी ने धीरे-धीरे अपने माता-पिता की परिक्रमा पूरी कर ली और गणेश जी को बुद्धिमान मान लिया गया। बड़ा मानकर गणेश जी की शादी करा दी। जब कार्तिकेय वापस आए तो वे इस बात से क्रोधित होकर तपस्या पर चले गए। 
 
जब शंकर-पार्वती कार्तिकेय को मनाने के लिए गए तो उन्होंने शंकर-पार्वती को शाप दे दिया कि जो स्त्री दर्शन करेंगी तो वह सात जन्म तक विधवा रहेगी और पुरुष दर्शन करेंगे तो वे सात जन्म तक नरक को भोगेंगे। फिर शंकर-पार्वती ने आग्रह किया कि कोई ऐसा दिन हो, जब आपके दर्शन हो सकें। 
 
तब भगवान कार्तिकेय ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो मेरा दर्शन करेगा, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। कार्तिक पूर्णिमा पर मेरा दर्शन महा फलदायी होगा। जब से एक वर्ष में यह मंदिर एक बार कार्तिक पूर्णिमा को खुलता है। इस मंदिर में गंगा, जमुना, सरस्वती, हनुमान, लक्ष्मी नारायण व भगवान कार्तिकेय आदि के मंदिर हैं। जिसमें भगवान कार्तिकेय का मंदिर वर्ष में एक बार कार्तिकेय पूर्णिमा को ही खुलता है। वहीं अन्य मंदिर प्रतिदिन खुलते हैं। भगवान कार्तिकेय साल में एक ही बार अब दर्शन देते हैं। 
 
400 साल पुराने कहे जाने वाले इस मंदिर के पट वर्ष में एक बार कार्तिकेय पूर्णिमा पर रात 12 बजे खुलते हैं और सुबह अभिषेक के साथ दिन भर भजन-कीर्तन होता है, वहीं दूसरे दिन सुबह 4 बजे भोग लगाकर मंदिर के पट बंद किए जाते हैं, जो अगली कार्तिक पूर्णिमा पर खोले जाते है। कार्तिक पूर्णिमा के संबंध में यह मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय के दर्शन करने से घरों में खुशहाली व सुख-शांति एक वर्ष तक बनी रहती है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्यों चली आ रही हैं बैकुंठ चतुर्दशी पर 14 दीपक जलाने की परंपरा, क्या है इसका पौराणिक महत्व, आप भी जानिए...