Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हर की पौड़ी पर ही क्यों करते हैं गंगा स्नान, क्या है इसका खास मतलब?

Meaning of Har ki Pauri: हरिद्वार और हर की पौड़ी का क्या है अर्थ

हमें फॉलो करें हर की पौड़ी पर ही क्यों करते हैं गंगा स्नान, क्या है इसका खास मतलब?

WD Feature Desk

, गुरुवार, 20 जून 2024 (14:13 IST)
Meaning of Har ki Pauri: गंगा नदी का उद्गम उत्तराखंड के गंगोत्री नामक स्थल से माना जाता है। गंगा नदी पहाड़ों से उतर कर ऋषिकेश होते हुए वह मैदानी क्षेत्र में हरिद्वार से आगे बढ़ती है। हरिद्वार तक वह ऊंचे पहाड़ों पर ही रहती हैं। हरिद्वार में गंगा का आध्यातिमक स्वरूप कुछ अलग है। यह संसार के मुहाने पर खड़ी गंगा है। यहां धर्म, कर्मकांड, आध्यात्म के साथ ही संसार के दर्शन भी होते हैं। यह मन को सुकून देने वाला दृश्य होता है। यहां के घाट बहुत ही सुंदर और मनमोहक है।ALSO READ: किन कारणों से हरिद्वार एक पवित्र नगरी है?
 
हरिद्वार को भगवान श्रीहरि (बद्रीनाथ) का द्वार माना जाता है, जो गंगा के तट पर स्थित है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। हरिद्वार का प्राचीन पौराणिक नाम 'माया' या 'मायापुरी' है, जिसकी सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में गणना की जाती थी। यह नगर भारतवर्ष के सात पवित्र नगरों अर्थात सप्तपुरियों में से एक है। विश्‍व के प्राचीन नगरों में इसका नाम भी लिया जाता है।
webdunia
हर की पौड़ी :-
  1. हरिद्वार के गंगा तट हर की पौड़ी पर स्थापित गंगा मंदिर मां गंगा को समर्पित है।
  2. यहां हर की पौड़ी पर सप्त गंगा, त्रि गंगा और शकावर्त में मुक्ति कर्म किया जाता है
  3. ब्रह्मकुंड के समीप, गंगा तट को लगभग छूता हुआ यह एक अत्यंत छोटा गंगा मंदिर है जिसके भीतर गणेशजी की प्रतिमा है।
  4. हर की पौड़ी , जिसका अर्थ है भगवान विष्णु (हरि) के पैर। हरिद्वार में हर की पौड़ी पर ही भगवान विष्णुजी के पद चिन्ह हैं। 
  5. हरिद्वार को 3 देवताओं ने अपनी उपस्थिति से पवित्र किया है ब्रह्मा, विष्णु और महेश।
  6. गंगा नदी जब दुर्गम पहाड़ों को छोड़कर मैदानी क्षेत्रों में आती है तब यहां स्थित देवभूमि के द्वारा मैदानी क्षेत्रों में प्रवेश करती है। इसी कारण इसे गंगाद्वार भी कहा जाता है।
 
क्यों करते हैं यहां पर गंगा स्नान : कुंभ मेले का आयोजन जब होता है तो सभी यही पर गंगा स्नान करते हैं, क्योंकि सर्वप्रथम यहीं पर समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश के अमृत की बूंदे गिरी थीं। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि कुंभ स्थल के पवित्र जल में स्नान करने से मनुष्य के सारे पाप-कष्ट धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
अमावस्या दिन गंगा स्नान और पितरों के निमित्त तर्पण व पिंडदान करने से सद्गती प्राप्त होती है और यही शास्त्रीय विधान भी है। हरिद्वार की गंगा आरती जग प्रसिद्ध है। इस आरती का गवाह बनने सिर्फ भारतीय पर्यटक ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी भारी मात्रा में आते हैं।
webdunia
कहां ठहरे:- यहां उत्तराखंड सरकार ने पर्यटकों के लिए आवास गृह बनाए हैं। पर्यटक अपने बजट के हिसाब से ठहरने के स्थान का चयन कर सकते हैं। धर्मशाला, बाबा कमली मंदिर समिति के आवास स्थान भी उपलब्ध है। यह एक विशिष्ठ धार्मिक स्थल होने के कारण यहां शाकाहारी भोजन ही मिलता है।
 
कैसे पहुंचे:- हरिद्वार दिल्ली से लगभग 225 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली व हरिद्वार, गढ़वाल विकास निगम-मंडल द्वारा कई टूर प्लान उपलब्ध हैं। दिल्ली से हरिद्वार के लिए आप चाहे तो ट्रेन अथवा बस से भी जा सकते हैं। जहां, प्राइवेट टैक्सी, उत्तरांचल रोडवेज की बसें या निजी यातायात सेवाएं भी आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जिसका लाभ पर्यटक आसानी से उठा सकते हैं।ALSO READ: Ganga Snan in Haridwar: बुद्ध पूर्णिमा पर हरिद्वार में उमड़ा आस्था का सैलाब, गंगा स्नान और हर-हर गंगे की गूंज

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

योगिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और क्या रहेगा पारण का समय?