Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

इंदौर में है 700 साल पुराना भगवान दत्तात्रेय का अद्भुत चमत्कारी मंदिर

हमें फॉलो करें इंदौर में है 700 साल पुराना भगवान दत्तात्रेय का अद्भुत चमत्कारी मंदिर
* इंदौर में स्थित भगवान दत्तात्रेय का मंदिर   
- रूपाली बर्वे 
 

 
भगवान दत्त को ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का स्वरूप माना जाता है। दत्तात्रेय में ईश्वर और गुरु दोनों रूप समाहित हैं, इसीलिए उन्हें श्री गुरुदेवदत्त के नाम से भी पुकारा जाता है। हम आपको ले चलते हैं इंदौर के भगवान दत्तात्रेय के मंदिर में। 
 
इं‍दौर स्थित भगवान दत्तात्रेय का मंदिर करीब 700 साल पुराना है और कृष्णपुरा की ऐतिहासिक छत्रियों के पास स्थित है। इंदौर होलकर राजवंश की राजधानी रहा है। होलकर राजवंश के संस्थापक सूबेदार मल्हारराव होलकर के आगमन के भी कई वर्ष पहले से दत्तात्रेय मंदिर की स्थापना हो चुकी थी। जगद्‍गुरु शंकराचार्य सहित कई साधु-संत पुण्य नगरी अवंतिका (वर्तमान में उज्जैन) जाने से पहले अपने अखाड़े के साथ इसी मंदिर के परिसर में रुका करते थे।
 
जब श्री गुरुनानकजी मध्य क्षेत्र के प्रवास पर थे तब वे इमली साहब नामक पवित्र गुरुस्थल पर तीन माह तक रुके थे और प्रत्येक दिन नदी के इस संगम पर आया करते थे और दत्त मंदिर के साधु-संन्यासियों से धर्मचर्चा किया करते थे। 
 
कहा जाता है कि भगवान दत्त की निर्मिती भारतीय संस्कृति के इतिहास का अद्भुत चमत्कार है। भक्तों द्वारा अचानक आकर मदद करने वाली शक्ति को दत्त के रूप में पूजा जाता है और मार्गशीर्ष की पूर्णिमा पर दत्त जयंती का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। गुरुदेव के भक्तों की आराधना में गुरुचरित्र पाठ का अलग ही महत्व है। इसके कुल 52 अध्याय में कुल 7491 पंक्तियां हैं। 
 
कुछ लोग साल में केवल एक बार ही इसे एक दिन में या तीन दिन में पढ़ते हैं जबकि अधिकांश लोग दत्त जयंती पर मार्गशीर्ष शुद्ध 7 से मार्गशीर्ष 14 तक पढ़कर पूरा करते हैं। गुरुदेव के भक्त उनका महामंत्र दिगंबरा-दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा का जाप करते हुए सदैव भक्ति में लीन रहते हैं।
 
दत्तमूर्ति के साथ सदैव एक गाय तथा इनके आगे चार कुत्ते दिखाई देते हैं। पुराणों के अनुसार भगवान दत्तात्रेय ने पृथ्वी और चार वेदों की सुरक्षा के लिए अवतार लिया था, जिसमें गाय पृथ्वी तथा चार कुत्ते चार वेद के स्वरूप प्रतीत होते हैं। वहीं यह धारणा भी है कि गूलर के वृक्ष में भगवान दत्त का वास होता है, इसलिए प्रत्येक मंदिर में गूलर वृक्ष नजर आता है।
 
शैव, वैष्णव और शाक्त तीनों ही संप्रदायों को एकजुट करने वाले श्री दत्तात्रेय का प्रभाव महाराष्ट्र में ही नहीं, वरन विश्वभर में फैला हुआ है। गुरुदेव दत्तात्रेय में नाथ संप्रदाय, महानुभाव संप्रदाय, वारकरी संप्रदाय और समर्थ संप्रदाय की अगाध श्रद्धा है। दत्त संप्रदाय में हिन्दुओं के ही बराबर मुसलमान भक्त भी बड़ी संख्या में शामिल हैं, जो कि हमारी धर्मनिरपेक्ष संस्कृति का परिचायक है।
 
कैसे पहुंचें : 
 
सड़क मार्ग: यह देश के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग (आगरा-मुंबई) से जुड़ा हुआ है। देश के किसी भी हिस्से से यहां सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचने के बाद ऑटो से भगवान दत्तात्रेय मंदिर पहुंच सकते हैं।

रेलमार्ग: इंदौर जंक्शन होने के कारण यहां रेलमार्ग द्वारा पहुंचना बहुत ही आसान है।

वायुमार्ग: इंदौर को मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी माना जाता है जहां अहिल्याबाई एयरपोर्ट स्थित है।
 
 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या कहता है पुराण प्रलय के बारे में, जानिए रहस्य