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आज परशुराम जयंती, जानिए उनका प्राचीन मंदिर कहां है और वे कहां रहते हैं?

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हमें फॉलो करें Parshuram ancient temple

WD Feature Desk

, मंगलवार, 29 अप्रैल 2025 (16:08 IST)
Parshuram Temple In Hindi : भगवान परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। आज, 29 अप्रैल 2025, को परशुराम जयंती मनाई जा रही है। उन्हें चिरंजीवी माना जाता है और वे अपनी तपस्या में लीन हैं। आइए यहां जानते हैं उनका प्राचीन मंदिर कहां है और वे स्वयं कहां रहते हैं...ALSO READ: कलयुग में परशुराम वही एकमात्र कार्य करेंगे जो उन्होंने त्रेता और द्वापर में किया था?
 
भगवान परशुराम का प्राचीन मंदिर: भारत में भगवान परशुराम के कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं: 
 
• परशुराम महादेव मंदिर, राजस्थान: परशुराम का सबसे प्रसिद्ध मंदिर परशुराम महादेव मंदिर है। यह मंदिर राजस्थान के पाली जिले की सीमा पर अरावली पर्वतमाला में एक गुफा में स्थित है। इसे राजस्थान का अमरनाथ मंदिर भी कहा जाता है। माना जाता है कि परशुराम ने स्वयं अपने फरसे से इस गुफा को बनाया था और यहां भगवान शिव की पूजा करते थे।

इस संबंध में ऐसा माना जाता है कि परशुराम ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहीं तपस्या की थी। कहीं-कहीं इस बात का उल्लेख भी मिलता हैं कि मुख्य गुफा मंदिर राजसमंद जिले में है, जबकि कुंड धाम पाली जिले में आता है। इस परशुराम महादेव मंदिर के नाम से जाने जाने वाले मंदिर के साथ भगवान परशुराम के नाम से जुड़ा हुआ है, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं।ALSO READ: धर्म, दान और समृद्धि का पर्व: अक्षय तृतीया की कथा

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इसके अलावा भगवान परशुराम के मंदिर इन स्थानों पर स्थित हैं: 
 
दक्षिण भारत पजाका में परशुराम मंदिर : दक्षिण भारत में, उडुपी के पास पवित्र स्थान पजाका में, एक प्रमुख मंदिर स्थित है जो परशुराम जी को समर्पित है। 
 
• परशुराम मंदिर, मोकामा (बिहार) : वैसे तो भारत में भगवान परशुराम के बहुत कम ही मंदिर है, लेकिन इनमें से एक मंदिर बिहार के मोकामा में स्थित है।
 
• परशुराम मंदिर, निर्मंड, हिमाचल प्रदेश: यह मंदिर भगवान परशुराम को समर्पित एक महत्वपूर्ण मंदिर है और ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
 
• तंगनाथ धाम, झारखंड: यहां एक प्राचीन शिव मंदिर है और यह मान्यता है कि भगवान परशुराम ने यहां भगवान शिव की तपस्या की थी और अपना फरसा जमीन में गाड़ दिया था।
 
• परशुराम मंदिर, चिपलून, महाराष्ट्र: यह मंदिर रत्नागिरी जिले के चिपलून के पास स्थित है और यह भी काफी प्राचीन माना जाता है।
 
• श्री परशुराम स्वामी मंदिर, तिरुवल्लाम, केरल: यह मंदिर भगवान परशुराम को समर्पित एक 2000 वर्ष पुराना मंदिर माना जाता है।
 
• पुरा महादेव मंदिर मेरठ : मेरठ (उत्तरप्रदेश) के पास, बालौनी कस्बे के एक छोटे से गांव पुरा में शिव जी का एक प्राचीन मंदिर है, जो कजरी वन क्षेत्र मेरठ के आसपास ही स्थित है और इस स्थान पर परशुराम ने शिवलिंग स्थापित कर जलाभिषेक किया था। उस स्थान को 'पुरा महादेव' कहते हैं। तथा इसे अन्य नाम 'परशुरामेश्वर' कहकर भी पुकारा जाता है। जो शिवभक्तों का श्रद्धा का केंद्र है। 
 
इनके अलावा भी भारत के विभिन्न हिस्सों में भगवान परशुराम के कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं। उनके प्राचीन मंदिर भारत के विभिन्न हिस्सों में उनकी स्मृति और आराधना के लिए स्थापित हैं।ALSO READ: अक्षय तृतीया पर बनेंगे 3 अद्भुत संयोग, धन और सुख की प्राप्ति के लिए जरूर करें ये उपाय
 
भगवान परशुराम कहां रहते हैं? where does Parshuram live: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम महेंद्र पर्वत पर निवास करते हैं। यह पर्वत कहां स्थित है, इसके बारे में विभिन्न मत हैं, लेकिन मुख्य रूप से इसे ओडिशा या तमिलनाडु में माना जाता है। उन्हें चिरंजीवी माना जाता है, अर्थात् वे आज भी जीवित हैं और तपस्या में लीन हैं। 
 
कुछ किंवदंतियों के अनुसार, वे कलयुग के अंत में भगवान विष्णु के दसवें अवतार, कल्कि के गुरु बनेंगे और उन्हें शस्त्र विद्या सिखाएंगे। इसलिए, भगवान परशुराम का कोई एक निश्चित भौतिक निवास स्थान नहीं है, लेकिन महेंद्र पर्वत को उनका तपस्या स्थल और निवास माना जाता है। महेंद्र पर्वत की श्रृंखला पूर्वी घाट के रूप में जानी जाती है, जो कलिंग से आरंभ होती है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: अक्षय तृतीया पर क्या खरीदें और क्या नहीं खरीदें?

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