प्राचीनकाल की बात है, उस समय भारत में राजा शर्याति का शासन था। वे अत्यंत न्यायप्रिय, प्रजासेवक एवं कुशल प्रशासक थे। सद्गुणों का व्यापक प्रभाव राजा के पुत्रों पर भी पड़ा। उनके पुत्र और पुत्रियां अपने पिता के पदचिह्नों पर ही चल रहे थे। राजा शर्याति अपने पुत्रों को देखकर स्वयं प्रसन्न रहा करते थे।
एक दिन राजा शर्याति अपने पुत्र-पुत्रियों के साथ वन विहार के लिए निकले। राजा-रानी तो एक सरोवर के निकट विश्राम के लिए बैठ गए लेकिन उनके पुत्र-पुत्रियां परस्पर घूमते-टहलते दूर जा निकले।
असमय ही राजकुमारी सुकन्या ने मिट्टी के टीले में दो चमकदार मणियां देखीं। कुतूहलवश सुकन्या उस मणि के निकट आई। नजदीक देखने पर भी वह चमकती वस्तु को समझ न पाई। तब उसने सूखी लकड़ी की सहायता से दोनों चमकदार मणियों को निकालने का यत्न किया लेकिन मणि निकली नहीं, अपितु वहां से खून बहने लगा।
मणि से खून टपकते देख सुकन्या और उसके भाई-बहन घबरा गए। वे सभी अपने पिता के पास आए और पूरी बात कह सुनाई।