क्या आप जानते हैं वह जगह जहां शिव ने क्रोधित होकर कामदेव को भस्म कर दिया था। आइए हम लिए चलते हैं वहां। यह जगह है कामेश्वर धाम। यह उत्तरप्रदेश के बलिया जिले में स्थित है यहां पर पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने कामदेव को जला कर भस्म कर दिया था।
यहां स्थित एक आम का पेड़ सदियों से इस बात का गवाह हैं। यह पेड़ आधा जला और आधा हरा हैं। माना जाता है कि कामदेव ने इस आम के पेड़ के पीछे छिपकर भगवान शिव पर बाण चलाया था।
कथा के अनुसार सती के आत्मदाह करने पर भगवान शिव क्रोधित हो गए। भगवान शिव ने अपने तांडव से पूरी सृष्टि में हाहाकार मच गया। जब देवताओं ने सृष्टि की यह हालात देखी तो भगवान शंकर को समझाकर उन्हें शान्ति के लिए माता गंगा के तमसा के इस पवित्र तट पर समाधि के लिए भेजा।
भगवान शंकर ने यहां आकर तपस्या में लीन हो गए। लेकिन इसी बीच महाबली राक्षस तारकासुर ने अपने तप से भगवान ब्रह्मा को खुश वरदान मांगा। वरदान में उन्होंने अपनी मौत भगवान शिव के पुत्र के द्धारा होनी मांगी।
वरदान के प्राप्त होने पर वह राक्षस पूरी सृष्टि में आंतक मचाने लगा। सब चिंतित हो गए और देवताओं ने भगवान शिव को जगाने के लिए कामदेव को जिम्मेदारी दी।
कामदेव, महादेव के समाधि स्थल पहुंचकर अनेक प्रयत्न द्वारा महादेव को जगाने का प्रयास करने लगे, पर सारे प्रयास बेकार हो गए।
अंत में उन्होंने स्वयं भोलेनाथ को जगाने लिए खुद को आम के पेड़ के पत्तों के पीछे छुपाकर शिवजी पर पुष्प बाण चलाया। पुष्प बाण सीधे भगवान शिव के हृदय में लगा, और उनकी समाधि टूट गई।
समाधि टूट जाने से भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए और आम के पेड़ के पत्तों के पीछे खड़े कामदेव को अपने त्रिनेत्र से जला कर भस्म कर दिया।
यही स्थान कालांतर में कामेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध हुआ।