भारतीय मंदिरों की विशेषता है कि हर मंदिर के साथ कोई दिलचस्प कथा जुड़ी है। परंपरागत रूप से उसे आज भी जीवंत बनाया हुआ है। पारंपरिक रूप से कथा की स्मृति को अक्षुण्ण रखा गया है। प्रस्तुत हैं 5 मंदिरों के रोचक किस्से....
1 - डाकौर के रणछोड़दास जी मंदिर में भगवान को श्रृंगार में आज भी पट्टी बांधी जाती है। मान्यता है कि यहां भगवान ने अपने भक्त को मार से बचाने के लिए उसकी चोटें अपने शरीर पर ले ली थीं।
2 - उदयपुर के समीप श्रीरूप चतुर्भुजस्वामी के मंदिर में आज भी वहां के राजा का प्रवेश वर्जित है। मान्यता है कि यहां भगवान ने अपने भक्त देवाजी पंडा की अवमानना करने पर राजा को श्राप दे रखा है कि वे उनके मंदिर में प्रवेश ना करें और ना ही उनके दर्शन करें। पी ढ़ी दर पीढ़ी यह परंपरा जारी है।
3- ओरछा के रामराजा सरकार का मुख्य विग्रह उनके लिए बनाए गए मंदिर के स्थान पर राजमहल के रसोईघर में स्थित है। कथानुसार यहां की महारानी गणेशदेई जब भगवान श्रीराम को अयोध्या लाने गई तो श्रीराम प्रभु ने साथ चलने के लिए अपनी दो शर्ते रखीं, पहली कि वे केवल महारानी की गोद में बैठकर ही यात्रा करेंगे और जहां वे उन्हें अपनी गोद से उतारेंगी वे वहीं स्थापित हो जाएंगे। दूसरी शर्त थी कि महारानी केवल पुष्य नक्षत्र में ही यात्रा करेंगी। ओरछा पहुंचने पर महारानी अपनी पहली शर्त भूल गई क्योंकि तब तक मंदिर अपूर्ण था इसलिए महारानी गणेशदेई ने श्रीराम का विग्रह अपनी गोद से उतारकर महल के रसोईघर में रख दिया। अपनी शर्त के अनुसार भगवान राम महारानी की गोद से उतरते ही वहीं स्थापित हो गए। तब से आज तक यह विग्रह महल के रसोईघर में ही स्थापित है। यद्यपि वर्तमान में उसे मंदिर का रूप दे दिया गया है।
4 -उज्जैन स्थित महाकाल व ओरछा स्थित रामराजा सरकार को राजा माना जाता है और राज्य सरकार द्वारा गॉर्ड ऑफ़ ऑनर दिया जाता है।
5- हरदा जिले के नेमावर स्थित सिद्धनाथ जी के सिद्धेश्वर मंदिर का मुख्य द्वार प्रवेश द्वार से उल्टी दिशा में है। मन्दिर प्रांगण में प्रवेश करने पर सर्वप्रथम मंदिर का पार्श्व भाग दिखाई देता है। मान्यता है कि महाभारत काल में एक विशेष पूजा के चलते प्रात:काल सूर्य की किरणें मन्दिर में प्रवेश ना कर पाएं इसलिए महाबली भीम ने इस मंदिर को घुमा दिया था। यह मंदिर आज तक उसी स्थिति में है।
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया