एक बार दुर्वासा ऋषि के श्राप के कारण तीनों लोक श्री-हीन हो गए थे। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ऋषि दुर्वासा (जो अपने भयंकर क्रोध के लिए विख्यात थे), ने पारिजात पुष्पों की एक माला इन्द्र को भेंट की।
इन्द्र ने अपने धन-वैभव के अभिमान में उस माला का तिरस्कार करते हुए उसे अपने हाथी ऐरावत के गले में पहना दिया और ऐरावत ने उस माला को अपनी सूंड से क्षत-विक्षत कर दिया। आदर व प्रेम से दी हुई अपनी भेंट की यह दुर्दशा देखकर ऋषि दुर्वासा अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने इन्द्र को श्राप दे दिया कि जिस धन समृद्धि के बल पर तुमने मेरी इस भेंट का अनादर किया है आज से तुम उस लक्ष्मी से विहीन हो जाओगे।
देवराज इन्द्र जो तीनों लोकों के अधिपति थे दुर्वासा ऋषि के इस श्राप के कारण तीनों लोकों सहित श्रीहीन हो गए थे। यह कथा हमें इस बात के लिए प्रेरित करती है कि अपने धन-वैभव के अभिमान में किसी भी तुच्छ वस्तु या भेंट का अनादर नहीं करना चाहिए।\
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया