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मोर पंख में है नवग्रहों का वास, नहीं जानते होंगे संध्या राक्षस की यह कहानी आप

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mor n asura story
 
मोर पंख (peacock feather) का जितना महत्व भारत के लोगों में हैं, उतना शायद ही किसी अन्य देश के लोगों में होगा। भारत में मोर को नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) दूर करने में सबसे प्रभावशाली माना जाता है।

मोर पंख से जहां बाल के सिर से पैर तक झाड़ कर नजर उतारने का कार्य किया जाता है, वहीं बच्चे को लगी नजर भी उतर जाएगी और बालक स्वस्थ हो जाता है। इतना ही नहीं मोर पंख (peacock feather) में नवग्रहों (Navagraha) का वास माना जाता है।

ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में मोर के पंखों का विशेष महत्व बताया गया है। यदि विधिपूर्वक घर में मोर पंख को स्थापित किया जाए तो घर के वास्तु दोष (Vastu Dosh) दूर होते हैं और कुंडली के सभी नौ ग्रहों के दोष भी शांत होते हैं। इतना ही नहीं जहां आप रह रहे हैं यदि उस घर का दरवाजा (Home Door) वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित करने से वास्तु दोष (Vastu Dosh) समाप्त होता है, ऐसा भी माना जाता है।
 
हिन्दू धर्म में भी मोर पंख का खासा महत्व माना गया है। मान्यतानुसार मोर (Mor) के पंखों में सभी देवी-देवता (God-Goddess) और नौ ग्रहों ( nine planets) का वास होता है। ऐसा क्यों माना जाता है, इससे संबंधित हमारे धर्म ग्रंथों में एक कथा का वर्णन है..., जो मोरपंख के संबंध में संध्या राक्षस की कहानी हैं।

यह कहानी आपने कहीं नहीं पढ़ी होगी। जानिए यहां- 
 
भगवान शिव ने माता पार्वती (Shiv Parvati) को पक्षी शास्त्र में वर्णित मोर के महत्व के बारे में बताते हुए यह कहानी (Story) बताई थी। 
 
इसकी कथा के अनुसार प्राचीन काल में संध्या (Sandya Asur) नाम का एक असुर हुआ था। वह बहुत शक्तिशाली और तपस्वी असुर था। गुरु शुकाचार्य के कारण संध्या देवताओं का शत्रु बन गया था। संध्या असुर ने कठोर तप कर शिव जी और ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया था। ब्रह्मा जी और शिव जी प्रसन्न हो गए तो असुर ने कई शक्तियां वरदान के रूप में प्राप्त की। 
 
इन शक्तियों के कारण संध्या असुर (Sandya Asura) बहुत शक्तिशाली हो गया था। शक्तिशाली संध्या भगवान विष्णु के भक्तों का सताने लगा था। असुर ने स्वर्ग पर भी आधिपत्य कर लिया था, देवताओं को बंदी बना लिया था। जब किसी भी तरह देवता संध्या को जीत नहीं पा रहे थे, तब उन्होंने एक योजना बनाई।
 
योजना के अनुसार सभी देवता और सभी नौ ग्रह एक मोर के पंखों में विराजित हो गए। अब वह मोर बहुत शक्तिशाली हो गया था। मोर (mor) ने विशाल रूप धारण किया और संध्या असुर का वध कर दिया। तभी से मोर को भी पूजनीय और पवित्र माना जाने लगा। इतना ही नहीं माता सरस्वती, श्री कृष्ण, मां लक्ष्मी, इंद्रदेव, कार्तिकेय और श्री गणेश सभी को मोर पंख किसी न किसी रूप में प्रिय हैं।


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