Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

जानकी नवमी 2024 : आज पढ़ी जाती है माता सीता की यह प्रचलित जन्म कथा

हमें फॉलो करें Sita Navami 2024

WD Feature Desk

, गुरुवार, 16 मई 2024 (13:17 IST)
Highlights 
* माता सीता के जन्म की प्रचलित कथा।  
* जानकी की पौराणिक कहानी यहाँ पढे।  
* लंकापति रावण और मंदोदरी की पुत्री की कथा।  

ALSO READ: Seeta Navmi : सीता नवमी पर जरूर करें ये काम, घर में रुपयों की कभी नहीं होगी तंगी
 
sita navami :सीता नवमी का पर्व मनाया जा रही है, धार्मिक मान्यता के अनुसार माता सीता को लक्ष्मी जी का अवतार माना जाता है। माता जानकी का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र भगवान श्रीराम से हुआ था। और उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना गया हैं। विवाह पश्चात् देवी सीता और भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास बिताना पड़ा था। वैसे तो माता सीता के जन्म के बारे में कई प्रचलित पौराणिक कथाएं मिलती है। कहीं-कहीं उन्हें लंकापति रावण की पुत्री भी बताया जाता हैं।  
 
आइए जानते हैं यहाँ माता सीता की प्रचलित जन्म कथा... 
 
इस प्रचलित कथा के अनुसार माता सीता को लंकापति रावण और मंदोदरी की पुत्री कहा गया हैं। और सीता जी वेदवती नाम की एक स्त्री का पुनर्जन्म थी। वेदवती विष्णु जी की परमभक्त थी और वह उन्हें पति के रूप में पाना चाहती थी। 
 
इसलिए भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए वेदवती ने कठोर तपस्या की। कहा जाता है कि एक दिन रावण वहां से निकल रहा था जहां वेदवती तपस्या कर रही थी और वेदवती की सुंदरता को देखकर रावण उस पर मोहित हो गया। 
 
रावण ने वेदवती को अपने साथ चलने के लिए कहा लेकिन वेदवती ने साथ जाने से इंकार कर दिया। वेदवती के मना करने पर रावण को क्रोध आ गया और उसने वेदवती के साथ दुर्व्यवहार करना चाहा रावण के स्पर्श करते ही वेदवती ने खुद को भस्म कर लिया और रावण को श्राप दिया कि वह रावण की पुत्री के रूप में जन्म लेंगी और उसकी मृत्यु का कारण बनेंगी। 
 
कुछ समय बाद मंदोदरी ने एक कन्या को जन्म दिया। लेकिन वेदवती के श्राप से भयभीत रावण ने जन्म लेते ही उस कन्या को सागर में फेंक दिया। जिसके बाद सागर की देवी वरुणी ने उस कन्या को धरती की देवी पृथ्वी को सौंप दिया और पृथ्वी ने उस कन्या को राजा जनक और माता सुनैना को सौंप दिया। 
 
जिसके बाद राजा जनक ने सीता का पालन पोषण किया और उनका विवाह श्रीराम के साथ संपन्न कराया। फिर वनवास के दौरान रावण ने सीता का अपहरण किया जिसके कारण श्रीराम ने रावण का वध किया और इस तरह से सीता रावण के वध का कारण बनीं। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Seeta Navmi : सीता नवमी पर जरूर करें ये काम, घर में रुपयों की कभी नहीं होगी तंगी