Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

यम द्वितीया की पौराणिक कथा

हमें फॉलो करें यम द्वितीया की पौराणिक कथा
दिवाली के तीसरे दिन भाई दूज अर्थात यम द्वितीया का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ा हुआ है। इस त्योहार को संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है। भाई दूज को संस्कृत में भागिनी हस्ता भोजना कहते हैं। कर्नाटक में इसे सौदरा बिदिगे के नाम से जानते हैं तो वहीं बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा के नाम से जाना जाता है। गुजरात में भौ या भै-बीज, महाराष्ट्र में भाऊ बीज कहते हैं तो अधिकतर प्रांतों में भाई दूज। भारत के बाहर नेपाल में इसे भाई टीका कहते हैं। मिथिला में इसे यम द्वितीया के नाम से ही मनाया जाता है। आओ जानते हैं इसे मनाए जाने की पौराणिक कथा।
 
 
सूर्यदेव की पत्नी छाया के गर्भ से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।
 
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा।
 
तब बहन यमुना ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज 'तथास्तु' कहकर यमपुरी चले गए। 
 
इसीलिए ऐसी मान्यता प्रचलित हुई कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता। कहते हैं कि इस दिन जो भाई-बहन इस रस्म को निभाकर यमुनाजी में स्नान करते हैं, उनको यमराजजी यमलोक की यातना नहीं देते हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना का पूजन किया जाता है। भाई दूज पर भाई को भोजन के बाद भाई को पान खिलाने का ज्यादा महत्व माना जाता है। मान्यता है कि पान भेंट करने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

15 नवंबर को गोवर्धन पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त