अहमदाबाद। अहमदाबाद से 40 किलोमीटर की दूरी पर 'झूलासन' नाम का एक गांव है। यहां पर एक मंदिर है और शायद यह एक अकेला हिन्दू मंदिर है जिसमें मुस्लिम महिला की पूजा की जाती है। उल्लेखनीय है कि यह गांव अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के पिताजी का पैतृक गांव है।
गांव के लोगों के अनुसार 250 साल पहले 'डोला' नाम की एक मुस्लिम महिला ने उपद्रवियों से अपने गांव को बचाने के लिए उनसे बहुत ही वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी थी और अपने गांव की रक्षा करते हुए उसने अपनी जान दे दी थी।
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कहा जाता है कि मरने के बाद उनका शरीर एक फूल में परिवर्तित हो गया। इस चमत्कार और बलिदान के चलते लोगों ने उस फूल के ऊपर ही उसके नाम से एक मंदिर का निर्माण कर दिया।
इस मंदिर में मुस्लिम महिला 'डोला' की कोई मूर्ति या तस्वीर नहीं है। पत्थर का एक यंत्र है और उसके ऊपर साड़ी डालकर पूजा की जाती है। यहां जो भी मन्नत मांगता है वह अवश्य पूरी होती है। जिस तरह राजस्थान में सती माता के मंदिर है यह उसी तरह का मंदिर है।
गांव के अमीर निवासियों ने इस मंदिर को और भी भव्य बनाने के लिए 4 करोड़ रुपए की राशि इकट्ठा की थी और अब यह मंदिर भव्य आकार ले चुका है।
धर्म के नाम पर लड़ने वाले लोगों के लिए यह एक मिसाल है कि ऐसे में एक गांव में सीधे-सच्चे मन वाले लोगों ने बिना किसी का धर्म देखे उसके कर्मों को सराहा है।
मुस्लिम महिला की वीरता के लिए उसके बलिदान को याद करते हुए उसकी याद में एक मंदिर ही बना दिया है और अपनी कृतज्ञता को उसकी पूजा करके व्यक्त करते हैं।
यहीं नहीं, अब लोगों में विश्वास भी जम गया है कि 'डोला' आज भी हमारे बीच है और वह हमारे बीच रहकर हमारे गांव की रक्षा ही नहीं करती बल्कि लोगों के दु:ख-दर्द भी दूर करती है।
इसे 'डॉलर माता' का मंदिर क्यों कहते हैं, अगले पन्ने पर...
इस मंदिर को 'डॉलर माता' का मंदिर भी कहा जाता है, क्योंकि 7,000 की जनसंख्या वाले इस गांव के 1,500 निवासी अब अमेरिका के नागरिक हैं। सुनीता विलियम्स जब अंतरिक्ष यात्रा पर गईं तो उनकी सुरक्षित वापसी के लिए इस मंदिर में एक अखंड ज्योति जलाई गई, जो 4 महीने तक लगातार जलती रही। झूलासन केलवानी मंडल के अध्यक्ष हैं रजनीश वाघेला। वे ही इस मंदिर की व्यवस्था देखते हैं।
(एजेंसी)