किसी ने गहरे नहर से गिरे स्कूल - बस के डूबते बच्चों को बचाया, तो किसी ने अपनी 11 महीने की बहन को ले जा रहे आवारा कुत्तों से बचाने में अनगिनत जख्म सहे। किसी ने पानी की टंकी में गिरे साथी को बचाने में जान दी, तो किसी ने आग में घुस कर तीन बच्चों को जीवन-दान दिया। किसी ने सामाजिक बुराई के खिलाफ आवाज बुलंद की, तो किसी ने लाज बचाने में अपनी जान गवाँ दी।
गणतंत्र दिवस पर अन्य सभी आयोजनों के साथ वीरता पुरस्कार के लिए सम्मानित किए जाने वाले बच्चे सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र होते हैं। पूरा देश इन बहादूर बच्चों की वीर गाथाएँ जानने के लिए लालायित होता है। आइए जानते हैं वर्ष 2007 का वीरता पुरस्कार पाने वाले बच्चों के बारे में...
इस वर्ष वीरता पुरस्कार के लिए 22 बच्चों को चुना गया है। इन्हें गणतंत्र दिवस के मौक पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सम्मानित करेंगे। इनमें से चार बच्चों को मरणोपरांत सम्मानित किया जाएगा।
वीरता पुरस्कार के अंतर्गत सबसे प्रतिष्ठित ‘भारत पुरस्कार’ हरियाणा के 17 वर्षीय बबिता और 15 वर्षीय अमरजीत को दिया जाएगा। बबिता और अमरजीत ने अपने साथियों को यमुना नहर में डूबने से बचाया था। इन बच्चों को ले जा रही बस गनौर जिला सोनीपत में यमुना नहर के 15 फुट गहरे पानी में गिर गई थी। 12वीं की बबिता और 11वीं के अमरजीत ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए सभी बच्चों को किनारे तक लाया और उनकी जान बचाई।
प्रतिष्ठित ‘संजय चोपड़ा पुरस्कार’ छत्तीसगढ़ के युक्तार्थ श्रीवास्तव को प्रदान किया जाएगा। उसने अपनी 11 महीने की बहन की जान आवारा कुत्तों से बचाई। कुत्तों के बीच घिरी अपनी बहन को देख पहले तो उसने आवाज लगाई, लेकिन किसी के नहीं सुनने पर वह कुत्तों के बीच छलांग लगा दिया और मजबूती से अपनी बहन को गोद में लेकर घर की ओर दौड़ लगा दी। इस दौरान कुत्तों ने उस पर भी हमला कर दिया, लेकिन उसकी परवाह नहीं करते हुए उसने अपनी बहन को गोद में तब तक पकडे़ रखा जब तक कि घर के भीतर नहीं पहुँच गया।
‘गीता चोपडा़ पुरस्कार’ के लिए मिजोरम के हमारवेंग जिला मामित की 14 वर्षीय लालेरंपुई को मरणोपरांत चुना गया है। उसने अपने साथ दुराचार करने वालों से आखिरी दम तक लड़ाई की। इस लड़ाई में उसकी जान चली गई।
बापू गांधानी पुरस्कार आंध्रप्रदेश के 12 वर्षीय रायपल्ली वामसी, मणिपुर के 16 वर्षीय बोनी सिंह और हरियाणा के 15 वर्षीय अमोल आघी (मरणोपरांत) को दिया जाएगा। रायपल्ली ने ‘कार्तिक मसाम (स्नान)’ के मौके पर नागवली नदी में डूब रही आठ लड़कियों को बाहर निकाला। इसमें से पॉंच को बचाया जा सका।
इंफाल के बोनी सिंह ने पानी की टंकी में डूब रहे दो लड़कों की जान बचाई। वहीं पानीपत के अमोल आघी की मौत स्थानीय गीता कॉलोनी में डकैतों का पीछा करने के दौरान हो गई।
सामाजिक रूढ़ियों और बुराई के खिलाफ डटकर खड़े होने के लिए तेरह साल की काँग्रेस कँवर को वीरता पुरस्कार दिया जाएगा। उसने अपनी शादी किए जाने का विरोध किया और गाँव के लोगों और अपने पिता के खिलाफ पुलिस को सूचित करने की बात कही।
बहादुर बच्चों में उत्तर प्रदेश का सुभाष भी शामिल है। उसने आग से घिरे तीन बच्चों घर से बाहर निकाला। इसमें एक पोलियो ग्रसित बालक भी था। इस दौरान सुभाष का पैर भी आग की चपेट में आगया।
इसी तरह आंध्रप्रदेश के छह साल के कव्वापल्लई राजकुमार ने खेल के दौरान उसके एक मित्र के कुएँ में गिर जाने पर अपने दूसरे दोस्त के साथ उसे रस्सी और बाल्टी की मदद से कुएँ से बाहर निकाला।
हरियाणा (गुडगाँव) के सात वर्षीय अभिषेक और नौ वर्षीय सूरज ने भिवानी के औरंगानगर गाँव में छह वर्षीय बच्चे लकी को पानी की टंकी में डूबने के दौरान अपनी जान गवाँ दी। दोनों को मरणोपरांत सम्मानित किया जाएगा।
फरीदाबाद के अंकित राय का सात लाख रुपए की फिरौती के लिए अपहरण कर लिया गया था, लेकिन सात वर्षीय अंकित अपहरणकर्ताओं के चंगुल से भागने में सफल रहा। इस प्रयास में उसका एक हाथ जाता रहा।
अन्य बहादुर बच्चों में छत्तीसगढ़ के रवींद्र हालधर, रवि कुमार झरिया, अवधेश कुमार झरिया और मानस निषाद, केरल के विष्णु सी.एस. और बिजिन बाबू, आंध्रप्रदेश के पिंजारी चिनगी साब, उत्तर प्रदेश की मेहर लेघा और कर्नाटक के सुनील कुमार पी.एन. शामिल हैं।