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60वाँ गणतंत्र दिवस : क्या कहता है ज्योतिष

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भारती पंडित

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26 जनवरी 2009 को भारत अपने गणतंत्र के 59 वर्ष पूर्ण करेगा। बीते वर्षों में देश ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं, विकास की सीढ़ियाँ चढ़ी हैं, तो पुरानी मान्यताएँ भी बदली हैं। इसमें गोचर के ग्रहों का भी बड़ा योगदान रहा है।

भार‍‍त की जन्मकुंडली वृषभ लग्न और कर्क राशि की है। वहीं यदि गोचर का अध्ययन‍ किया जाए तो 26 जनवरी (सुबह 7 बजे) की गणना के अनुसार ग्रहदशा निम्नानुसार रहेगी।

इसके अलावा मूल कुंडली से गोचर की गणना करने पर नवम भाव में पाँच ग्रह एक साथ हैं। शुक्र दशम में, मंगल अष्‍टम में तथा शनि चतुर्थ में भ्रमण कर रहे हैं। नवम भाव का चांडाल योग विशेष फलदाई नहीं है।

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अत: आर्थिक दृष्टि से देखा जाए तो गणतंत्र का यह वर्ष अप्रैल 09 तक भारत की स्थिति में विशेष परिवर्तनकारी नहीं है। आर्थिक मंदी का दौर छँटने वाला नहीं है। मई में गुरु कुंभ राशि में गमन करेंगे, चांडाल योग टूटेगा और आर्थिक उन्नति तथा विकास के रास्ते खुलेंगे।

सत्तापक्ष के लिए सितंबर तक का समय कशमकशभरा रहेगा। आम चुनावों में उलटफेर के स्पष्‍ट संकेत हैं। राहु भ्रम की स्थिति बनाए रखेगा। सरकार बनने के बाद भी सबको साथ लेकर चलने में मशक्कत करना होगी। साथ ही नेताओं पर से जनता का विश्वास भी डगमाएगा। नवंबर में राहु बदलने के बाद की स्थिति सामान्य होगी।

विश्‍व रंगमंच पर भारत की कुछ नीतियों से आलोचना हो सकती है। हालाँकि मूल कुंडली में राहु की प्रबल स्थिति और सितंबर से प्रारंभ हो रही सूर्य महादशा भार‍त को साहस व आत्मबल देगी। सितंबर के बाद नवीन उपलब्धियों का भी समय रहेगा। कलाकारों के लिए मई के बाद का समय अच्छा व लाभप्रद रहेगा। खिलाड़ियों के लिए भी समय अच्छा है। राष्‍ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर की ख्याति प्राप्त होगी।

शनि का राशि परिवर्तन (सितंबर) भार‍त के वर्षफल निर्धारण में मुख्य भूमिका निभाएगा। अत: जातक वर्ग को न्याय का पक्ष लेकर देश में शांति, सुरक्षा व सुख-चैन बनाए रखने का प्रयत्न करना चाहिए, अन्यथा शनिदेव का कोपभाजन बनना पड़ सकता है।

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