गणतंत्र पर टेक्नोलॉजी के तोहफे
भारत ने आजादी मिलने के बाद और उसके गणतंत्र बनने के बाद तकनीक के क्षेत्र में कई उपलब्धियाँ हासिल की है और आने वाले वर्षों में भी इस विकास को नई दिशा मिलने की आशा है। साल 2010 विज्ञान के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण संभावनाएँ लिए हुए है। इस साल जहाँ नासा के अंतरिक्ष यान अंतिम उड़ान भरेंगे वहीं इंटरनेट नए रूप में नजर आ सकता है।विज्ञान ने बीते वर्ष जो एक सबसे बड़ी छलांग भरी वह चंद्रमा पर पानी की खोज थी। चंद्रमा पर पानी की इस खोज ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को नए उत्साह से भर दिया है। इसरो के लिए साल 2010 देश के कुछ बेहद महत्वपूर्ण अभियानों के लिए निर्णायक साल साबित होने वाला है। यह वर्ष टेक्नोलॉजी के कुछ नए तोहफों के साथ हमारा स्वागत कर रहा है, जिनमें प्रमुख हैं इंटरनेट की ग्रिड टेक्नोलॉजी और सूरज की ऊर्जा के रहस्य फ्यूजन को हासिल करने के लिए किया जाने वाला महाप्रयोग। यदि प्रयोग सफल रहा तो पूरी धरती की ऊर्जा की समस्या हल हो जाएगी। वहीं 32 साल पुराना नासा का स्पेस शटल मिशन इस साल अपनी अंतिम उड़ान भी भरेगा। वहीं हम यह थाह लगाने की कोशिश भी करेंगे कि समुद्र सबसे अधिक गहरा कहाँ है? जिंदगी 2010अगर सब कुछ तय कार्यक्रम के हिसाब से ही चला तो इतिहास में 2010 एक ऐसे साल के रूप में दर्ज हो जाएगा, जब पहली बार प्रयोगशाला में हमें जिंदगी के पूरी तरह से कृत्रिम स्वरूप को पैदा करने में सफलता मिलेगी। यह ऐतिहासिक प्रयोग जारी है मेरीलैंड के रॉकविले में मौजूद जे.क्रेग वेंटर संस्थान में। यहां वैज्ञानिकों की टीम एक ऐसे बैक्टीरिया जैसे कृत्रिम जीव को बनाने में जुटी है जिसे प्रकृति नहीं बल्कि विज्ञान रचेगा। वैज्ञानिकों ने इस जीव का नाम रखा है सिंथिया। जीन टेक्नोलॉजी का कमाल और पूरी तरह से नकली जीन और डीएनए वाले सिंथिया का जन्म 2010 में हो सकता है। बाय-बाय स्पेस शटल 32
साल के शानदार इतिहास के बाद नासा के तीन स्पेस शटल का बेड़ा 2010 में रिटायर हो रहा है। अंतरिक्ष में मानव ले जाने और कुछ समय वहीं बिताने के बाद उन्हें धरती पर सुरक्षित वापस ले आने वाले नासा के स्पेस शटल मिशन के साथ भारत की संवेदनाएँ भी जुड़ी हुई हैं। इस मिशन के स्पेस शटल ही भारतीय महिला कल्पना चावला और भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष के सफर पर ले गए थे। नासा ने शुरुआत में छह स्पेस शटल्स बनाए थे, जिनके नाम थे इंटरप्राइज, कोलंबिया, चैलेंजर, डिस्कवरी, एटलांटिस और एंडेवियर। इनमें से इंटरप्राइज केवल परीक्षण के लिए था जबकि पांच अन्य स्पेस शटल धरती से बाहर अंतरिक्ष के सफर के लिए थे। साल 2010 में स्पेस शटल अटलांटिस, डिस्कवरी और एंडेवियर अपनी-अपनी अंतिम उड़ानें भरेंगे।फ्यूजन 2010धरती पर सूरज को उत्पन्न करने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है और अब इंतजार है तो बस 2010 में पहले परीक्षण के लिए बटन दबाने का। धरती पर सूरज को उतारने का काम किया जा रहा है कैलीफोर्निया की नेशनल इग्निशन फैसिलिटी यानी एनआईएफ नाम की प्रयोगशाला में। बारह साल के लंबे शोध और कड़ी मेहनत के बाद वैज्ञानिकों ने यहां दुनिया का सबसे विशाल व शक्तिशाली लेजर सिस्टम विकसित किया है। इस दस मंजिली प्रयोगशाला में 192 भीमकाय लेजर गन जैसी मशीनें सूरज की अक्षय ऊर्जा के स्रोत फ्यूजन को हासिल करने की दुनिया की पहली कोशिश में हैं। इस लेजर मशीन के जरिए हाइड्रोजन के एक अणु को जलाकर फ्यूजन रिएक्शन शुरू किया जाएगा। इंटरनेट 2010इस साल इंटरनेट की ग्रिड टेक्नोलॉजी की मदद से इंटरनेट को बिलकुल नया और तेज रूप दिया जाएगा। लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर में जनवरी 2010 के अंतिम सप्ताह होने वाले मुख्य प्रयोग की टीम में शामिल टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अतुल गुर्टू बताते हैं,"इस प्रयोग से मिलने वाले असीम डाटा के विश्लेषण के लिए इंटरनेट की ग्रिड टेक्नोलॉजी का शुरुआती प्रयोग दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में काम कर रहे वैज्ञानिक संस्थानों में शुरू कर दिया गया है। मुंबई का टीआईएफआर भी इन्हीं में से एक है। इसी साल ग्रिड टेक्नोलॉजी के आम उपयोग की भी संभावना है।इसरो 2010इसरो के लिए यह साल काफी महत्वपूर्ण है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बी.आर. गुरुप्रसाद ने माना कि 2010 में क्रायोजेनिक इंजन के साथ एडवांस लॉन्च व्हेकिल 'पीएसएलवी' पहली उड़ान भरेगा। इस क्रायोजेनिक इंजन को पूरी तरह से देश में ही विकसित किया गया है। साथ ही, जीसैट-4 और एडवांस रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट रिसोर्ससैट-2 को भी अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इस साल इसरो मौसम के अध्ययन के लिए एक खास सेटेलाइट मेगाट्रॉपिक्स भी लांच कर रहा है। वहीं युवाओं को अंतरिक्ष अभियानों से जोड़ने के लिए एक माइक्रो सेटेलाइट यूथसैट भी लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-1 की शानदार सफलता के बाद इसरो अब चंद्रयान-2 की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा इस साल भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य की तैयारियाँ भी अंतिम चरण में होंगी। वैज्ञानिक मिशन आदित्य को 2011 में लॉन्च करने के लक्ष्य को हासिल करने में जुटे हैं। उम्मीद है कि भारत के पहले मंगल मिशन को भी इसी वर्ष केंद्र सरकार की मंजूरी मिल जाएगी।