Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

गणतंत्र दिवस विशेष : जानिए राष्ट्रगान के वे पद, जो कभी गाए ही नहीं गए

Advertiesment
हमें फॉलो करें गणतंत्र दिवस विशेष : जानिए राष्ट्रगान के वे पद, जो कभी गाए ही नहीं गए
जन गण मन तो आप जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं पूरा राष्ट्रगान? जन गण मन के अंतिम पद पढ़ें हैं आपने... जानिए राष्ट्रगान के वे पद जो गाए नहीं गए... 

अहरह तव आह्वान प्रचारित, शुनि तव उदार बाणी।
 
हिन्दू बौद्ध सिख जैन पारसिक, मुसलमान ख्रिस्तानी।
पूरब पश्चिम आसे, तव सिंहासन पाशे; प्रेमहार जय गाथा।
जन-गण-ऐक्य-विधायक जय हे, भारत-भाग्य-विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय, जय हे॥
 
पतन-अभ्युदय-वन्धुर-पन्था, युग-युग-धावित यात्री।
हे चिर सारथि,तव रथचक्रे, मुखरित पथ दिन रात्री।
दारुण विप्लव-माझे, तव शंखध्वनि बाजे, हे संकटदुःखत्राता।
जन-गण-पथ-परिचायक जय हे,भारत-भाग्य-विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय, जय हे॥
 
घोर तिमिरघन निविड् निशीथे, पीड़ित मूर्च्छित देशे।
जागृत छिल तव अविचल मंगल, नत नयने अनिमेषे।
दुःस्वप्ने आतंके, रक्षा करिले अंके, स्नेहमयी तुमि माता।
हे जन-गण-दुःखत्रायक जय हे, भारत-भाग्य-विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय, जय हे॥
 
रात्रि प्रभातिल, उदिल रविच्छवि, पूर्ब-उदयगिरिभाले।
गाहे विहंगम, पुण्य समीरण, नवजीवनरस ढाले।
तव करुणारुणरागे, निद्रित भारत जागे, तव चरणे नत माथा।
जय जय जय हे, जय राजेश्वर !! भारत-भाग्य-विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय, जय हे॥

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi