हर साल हम पारंपरिक तरीके से गणतंत्र दिवस मनाते तो हैं, पर ये नहीं पूछते कि क्या गणतंत्र अभी भी जीवित है या धीरे-धीरे लुप्त हुआ जा रहा है। जब हमने अपने आपको गणतंत्र घोषित किया था, उस समय सभी के मन में मनोकामना थी कि एक ऐसी व्यवस्था स्थापित होगी जिसमें कानून पर आधारित कोई तंत्र के माध्यम से जनहित संभव हो सकेगा!
उस समय जवाहरलाल नेहरू अपने व्याख्यानों में इसी मनोकामना को बार-बार दोहराते भी थे और इस दिशा में प्रयास भी कर रहे थे। उनका समय कठिन समय था!
देश के विभाजन से खड़ी होने वाली समस्याएं और समाज में व्यापक असमानता और गरीबी गणतंत्र के सामने बड़ी चुनौती थी। इसके बावजूद विकास की प्रक्रिया के साथ-साथ कानून पर आधारित लोकतंत्र की स्थापना संभव हो सकी।