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महिलाओं के लिए 2013 : मीठा कम, खट्टा ज्यादा

साल 2013 : कैसा बीता महिलाओं के लिए

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स्मृति आदित्य

साल 2013, विदा होते इस साल की वह सुबह याद आती है। बहुत सिहरी और सहमी हुई थी सुबह। नए वर्ष के नए दिवस के नए सूर्य की नारंगी किरणें भी वह खुशी नहीं दे पा रही थी जो आम तौर पर हर नए साल में सहज ही दिल में उठती है। कारण था दिल्ली गैंग रेप से उपजी निराशा और भयावहता। तब मन बहुत कड़वा था। निर्भया के लिए, हर उस स्त्री के लिए जिसे खुल कर जीने का नैसर्गिक अधिकार है।

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शंका और आशंका के बीच फिर खुद को समेटा और संभाला कि हम कोशिश करेंगे कि 2014 की कोमल धूप जब हमारे आंगन में दस्तक दे तो चेहरे पर मीठी मुस्कान सजी हो, इस देश की नारी के सम्मान में बीतसाल चमकता हुआ मिले। किंतु कहां हो सका ऐसा? जैसे-जैसे साल 2013 आगे बढ़ता रहा, नारी का सम्मान दरकता रहा, विश्वास चटकता रहा, मन में कुछ अटकता रहा...

साल की शुरूआत में निर्भया केस पर बहस चली कि जो लोग असभ्य हैं,अनपढ़ हैं वही बलात्कारी होते हैं और वही ऐसी बर्बरता को अंजाम देते हैं। साल के अंत तक तक आते-आते इन सारी चर्चाओं की धज्जियां उड़ गई।

संत कहे जाने वाले आसाराम, उनके बेटे नारायण साईं, पत्रकातरुण तेजपाल, जस्टिस अशोकुमागांगुली जैसे नाम मीडिया की सुर्खियां बने तो चमकदार चेहरे बेनकाब गए। ना ये लोग असभ्य थे, ना अनपढ़। यह वे लोग थे जिन पर लोगों का दृढ़ विश्वास था। अगाध श्रद्धा थी, असीम आस्था थी।

संत, पत्रकार और न्यायाधीश। यह तीनों पद और क्षेत्र मन में आदर और आशा की स्थापना करते हैं। इन तीनों के घृणित कृत्यों से भारतीय मानस विचलित और विस्मित नजर आया। मन की किसी दुर्बलता के चलते इन तीन क्षेत्रों के लोगों ने जो किया उस पर तो न्यायालय फैसला देगा मगर जो आघात सैकड़ों मन पर हुआ है, हजारों-हजार अनुयायी-प्रशंसकों के विश्वास की जो हत्या हुई है उसका फैसला कौन सी अदालत करेगी?

देखें अगले पेज पर आसाराम की कलंक कथा


* 30 अगस्त 2013 को कथावाचक आसाराम को रेपकांड में रात करीब 12 बजे इंदौर आश्रम से गिरफ्तार किया गया तो जैसे लाखों की संख्या में उनके श्रद्धालु बौखला गए। यकायक यह विश्वास कर पाना मुश्किल था कि जिस आदमी को वह भगवान बनाकर पूजते रहे, घर के मंदिरों में तस्वीर बना कर सजाते रहे वह सामान्य इंसानों से भी अधिक गिरा हुआ व्यवहार कर सकता है।

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आसाराम ने अपनी पोती की उम्र की बच्ची के साथ दीक्षा देने के बहाने बुलाया और यौन शोषण किया।

विश्वास हर खबर के साथ टूटता और बिखरता रहा जब हर दिन नए आरोप लगे और उनकी पुष्टि होती गई। जब नारायण साईं का भांडा फूटा तो जनता ठगी सी रह गई। खुद को छला हुआ महसूस करते हुए बेबस रह गई। बाप-बेटे का पक्ष लेने वाले अनुयायी भी उस वक्त हतप्रभ रह गए जब नारायण साईं ने सारे इल्जाम कबूल कर लिए। आरोप सिद्ध होने तक बाप-बेटे जेल में है और संतत्व की यशस्वी परंपरा वाला यह देश चकनाचूर विश्वास के साथ अपनी बेटियों की सुरक्षा के लिए चिंतित हो गया।

अगले पेज पर पत्रकार तरुण तेजपाल का 'तहलका'


* 30 नवंबर 2013 को तहलका के संस्‍थापक और संपादक तरुण तेजपाल को अपनी बेटी की उम्र की सहकर्मी से रेप के मामले में गोवा में गिरफ्तार कर लिया गया। तरुण ने अपनी साख तेजतर्रार पत्रकारिता के साथ बनाई थी। अपनी धारदार पत्रकारिता से वे मीडिया के छात्रों के लिए यूथ आइकॉन बन गए थे।

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अचानक इस आरोप ने उनकी जिंदगी के साथ पूरे देश में तहलका मचा दिया। पत्रकारिता को नए स्वर, नए तेवर देने वाले तरुण का यह विकृत चेहरा हर बौद्धिक व्यक्ति के लिए झटका देने वाला रहा। तरुण अब जेल में है लेकिन देश की समूची पत्रकारिता शर्मसार है।

अगले पेज पर न्यायाधीश गांगुली का अन्याय


* नवंबर 2013 में जस्टिस अशोक कुमार गांगुली के खिलाफ जब एक लॉ इंटर्न ने यौनिक दुर्व्यवहार का आरोप लगाया तो पूरे देश में फिर एक बार यह बहस चल पड़ी कि आखिर विश्वास किस पर किया जाए? न्यायालय वह अंतिम जगह होती है जहां व्यक्ति अपने साथ हुए गलत व्यवहार की एवज में दोषी को सजा देने की आस में द्वार खटखटाता है। जब उसी के प्रमुख पर इस तरह का घिनौना आरोप लगे तो कौन सा क्षेत्र ऐसा बचा है जहां से उम्मीद की जाए?

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अब तक जस्टिस गांगुली के खिलाफ संतोषजनक कार्यवाही नहीं हो सकी है। ना जाने ऐसी कौन सी मजबूरियां आड़े आ रही है कि गृह मंत्रालय से लेकर तमाम बड़े नेता सब विमर्श कर रहे हैं कि गांगुली का क्या किया जाए। रसुखदार के समक्ष कानून की यह असहायता ही भ्रष्टों के कुत्सित हौसलें बढ़ा रही है।

जमाने भर के उपदेश देने वाले संत जेल में, जनता की आवाज बनने वाले पत्रकार जेल में और न्याय की गुहार जिस द्वार लगाई जाती है वह न्यायाधीश अपने से आधी उम्र की प्रशिक्षु के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप के घेरे में।

इस साल और भी कई खबरें मन को दुखा गई, पढ़ें अगले पेज पर



* पुरानी परंपराओं को तोड़कर कश्मीर में लड़कियों का पहला रॉक बैंड बना जिसे जनवरी, फरवरी में लगातार धमकी मिली और अंतत: बैंड समाप्त हो गया। यह किस युग में जी रहे हैं हम, जहां महकती हवा और खुले आकाश पर इस देश की नाजुक कलियों का हक नहीं?

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22 अगस्त : मुंबई के परेल इलाके में शाम को 22 वर्षीय फोटो जर्नलिस्ट के साथ सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया। यह घृणित घटना सेंट्रल मुंबई के परेल इलाके में शक्ति मिल के करीब शाम 6 बजे के आसपास घटी। इस केस ने निर्भया कांड का जख्म कुरेद दिया।

अगले पेज पर पढ़ें भारतीय लेखिका की अफगानिस्तान में हत्या


5 सितंबर : अफगानिस्तान में भारतीय लेखिका सुष्मिता बनर्जी की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। 49 साल की सुष्मिता ने तालिबान के चंगुल से बच निकलने पर आधारित किताब लिखी थी, जिस पर 2003 में फिल्म भी बन चुकी है।

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पुलिस के मुताबिक, सुष्मिता की पक्तिका प्रांत में उनके घर के बाहर हत्या की गई। उन्होंने अफगान कारोबारी जांबाज खान से शादी की थी और उनके साथ रहने के लिए वह अफगानिस्तान पहुंची थीं। तालिबानी आतंकवादी प्रांतीय राजधानी खाराना में उनके घर पहुंचे और उनके पति और परिवार के दूसरे सदस्यों को बांध दिया। इसके बाद उन्होंने सुष्मिता को घर से बाहर निकालकर उन्हें गोली मार दी।

आतंकवादियों ने सुष्मिता के शव को एक धार्मिक स्कूल के पास फेंक दिया। सुष्मिता पक्तिका प्रांत में स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर काम कर रही थीं और अपने काम के तहत ही स्थानीय महिलाओं की जिंदगी पर फिल्म भी बना रही थीं।

यह घटना लेखनी की ताकत का सशक्त लेकिन मार्मिक उदाहरण बनीं।

अगले पेज पर : निर्भया कांड में आरोपियों को फांसी मगर बच निकला नाबालिग...


* 13 सितंबर : दिल्ली के अतिरिक्त सेशन कोर्ट ने दिल दहला देने वाले बर्बर निर्भया रेप और हत्याकांड मामले में चार अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई लेकिन नाबालिग को ‍जिसने सबसे ज्यादा नृशंसता की थी, सुधार गृह में भेज दिया। सवाल फिर वहीं विकराल होकर खड़ा है कि क्या उम्र कम होने से अपराध भी कमतर हो जाता है? निर्भया के माता-पिता इस बात से आहत नजर आए कि नाबालिग को फांसी क्यों नहीं मिली।

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4 नवंबर : दिवाली का गिफ्ट देने के लिए बुलाकर चार दोस्तों ने 16 साल की नाबालिग लड़की के साथ गोरेगांव में गैंग रेप किया।

अगले पेज पर : एटीएम भी सुरक्षित नहीं....


* 11 नवंबर को बेंगलूर में एटीएम से रुपए निकाल रही एक महिला बैंक अधिकारी को एक व्यक्ति ने हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। हमलावर को पुलिस ने आंध्रप्रदेश के हिंदूपुर शहर से गिरफ्तार किया गया।

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माता-पिता के हाथों आरुषि का खून

* 25 नवंबर को बहुचर्चित आरुषि तलवार और हेमराज हत्याकांड में नूपुर और राजेश तलवार को आईपीसी की धारा 301, 302 और 34 के तहत दोषी पाया गया। दोनों को ही आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इस घटनाक्रम ने लंबे समय तक रहस्य बनाए रखा और अंतत: पूरा देश यह फैसला सुनकर दुख मिश्रित आश्चर्य से भर उठा कि मां-बाप के पास भी कहां सुरक्षित है बच्चियां?

अगले पेज पर : अमेरिका में महिला राजनयिक के साथ बद्तमीजी



* अमेरिका में भारतीय महिला राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को 11 दिसंबर को उनकी नौकरानी के वीजा जालसाजी मामले में गिरफ्तार किया गया, सार्वजनिक रूप से हथकड़ी लगाई गई, उनकी कथित तौर पर कपड़े उतरवा कर तलाशी ली गई और जेल में अपराधियों के साथ रखा गया।

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बाद में उन्होंने अदालत में कहा कि वह दोषी नहीं है जिसके बाद उन्हें ढाई लाख डालर के बांड पर रिहा किया गया। वर्ष 1999 बैच की आईएफएस अधिकारी देवयानी को उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने गई थीं। इस मामले ने पूरे देश को उद्वेलित कर दिया।

वर्ष 2013 में महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों की भयावहता जारी रही ले‍किन महिलाओं के लिए यही साल कई उपलब्धियां भी देकर गया। आधी आबादी ने अपना आत्मविश्वास बढ़ाते हुए अपनी क्षमता साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पढ़ें अगले पेज पर ....


* देश की पहली महिला मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में दीपक संधू ने 5 सितंबर को पदभार ग्रहण किया। उन्होंने सत्येन्द्र मिश्र के सेवानिवृत्ति के बाद यह जगह ली। 1971 बैच की भारतीय सूचना सेवा की पूर्व अधिकारी संधू कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुकी हैं जिसमें पीआईबी की प्रधान महानिदेशक, डीडी न्यूज की महानिदेशक और 2009 में सूचना आयुक्त बनने से पहले ऑल इंडिया रेडियो, न्यूज की महानिदेशक रह चुकी हैं।

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वे कॉन, बर्लिन, वेनिस और टोक्यो में अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों, रूस और साइप्रस में आतंकवाद एवं इलेक्ट्रानिक मॉस मीडिया पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के अलावा अटलांटा, अमेरिका एवं बीजिंग में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। दीपक संधू दिसंबर 2013 के अंत में इस पद से सेवानिवृत भी हो रही हैं उनका स्थान सुषमा सिंह ग्रहण करेंगी।


अगले पेज पर : बीएसएफ में कैसे चमकी मुस्कान


* महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सरकार ने इस साल जुलाई में पहली बार सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में महिला अधिकारियों को नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी। इसके तहत 25 वर्ष आयु वर्ग तक की महिलाओं के लिए सहायक कमांडेंट रैंक के अधिकारी के तौर पर प्रत्यक्ष प्रवेश के तहत नियुक्ति और तैनाती का रास्ता साफ हो गया।

अभी तक महिलाएं केवल अधिकारी कैडर में दो अन्य केंद्रीय सुरक्षा बल सीआरपीएफ और सीआईएसएफ में ही नियुक्त की जाती थीं और इनमें भी इन्हें आंतरिक सुरक्षा से जुड़े काम करने होते थे। इन्हें सीमाओं पर तैनात नहीं किया जाता था।

* उभरती हुई बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने 9 अगस्त को चीन के ग्वांग्झू में इतिहास रचते हुए सेमीफाइनल में जगह बनाई। सिंधु ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखते हुए एक दिसंबर को मकाउ में कनाडा की मिशेल ली को हराकर मकाउ ओपन ग्रां प्री गोल्ड का महिला एकल खिताब जीता। मलेशिया ओपन में खिताबी जीत के अलावा वह विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला एकल खिलाड़ी बन गईं।

* अरुंधति भट्टाचार्य 7 अक्टूबर भारतीय स्टेट बैंक की चेयरमैन बनीं। देश के इस सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक के 57 साल के इतिहास में पहली बार कोई महिला इसका नेतृत्व कर रही है। अरुंधति अभी तक इसी बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी थीं।

अगले पेज पर : महिलाओं का, महिलाओं के लिए, महिलाओं द्वारा संचालित बैंक


* प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 19 नवंबर को मुंबई में भारतीय महिला बैंक का उद्‍घाटन किया। यह बैंक 1,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ शुरू किया गया और पूरी तरह महिलाओं द्वारा महिलाओं के लिए संचालित है। फिलहाल इसकी सात शाखाएं शुरू की गई हैं। महिला बैंक की चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक उषा अनंतसुब्रमण्यम हैं और इसके निदेशक मंडल में आठ महिला सदस्यों को शामिल किया गया है।

सार्वजनिक क्षेत्र का यह पहला बैंक है जिसके निदेशक मंडल की सभी सदस्य महिलाएं हैं। इनमें राजस्थान से एमबीए स्नातक सरपंच छवि राजावत, दलित उद्यमी कल्पना सरोज, सेवानिवृत्त बैंकर नुपुर मित्रा, अकादमिक क्षेत्र की पाकीजा समद, निजी इक्विटी पेशेवर रेणुका रामनाथ, गोदरेज समूह की कार्यकारी निदेशक तानिया दुबाश और सरकार की ओर से नामांकित प्रिया कुमार शामिल हैं। बैंक का मुख्यालय दिल्ली में है।

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नए साल की प्रथम ‍सूर्य किरण के साथ प्रार्थना करें कि राजधानी में 'बदलाव' की सुहानी बयार तले देश भर की महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और साहस के नए प्रतिमान हम गढ़ सकें। आक्रमणों का आत्मविश्वास से जवाब दे सकें और अपनी आवाज को प्रतिकूलता के खिलाफ बुलंद कर सकें। आमीन...!!

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