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धर्म 2010 : बेनतीजा रही बहस

हमें फॉलो करें धर्म 2010 : बेनतीजा रही बहस

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

, मंगलवार, 28 दिसंबर 2010 (14:00 IST)
टोरंटो में 26 नवंबर को आयोजित एक सम्मेलन में पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर और लेखक क्रिस्टोफर हिचेन्सन के बीच धर्म पर बहस हुई। टोनी ब्लेयर ने कहा कि इराक पर अमेरिकी हमले को समर्थन देने के उनके फैसले में उनकी धार्मिक आस्थाओं की कोई भूमिका नहीं थी।

लेखक हिचेन्सन ने तर्क दिया कि 'धर्म लोगों को उनकी आस्था की आड़ में वह सब करने के लिए बाध्य करता है जिसके बारे में कहा नहीं गया हो' अर्थात् हम कह सकते हैं कि धर्म की आड़ में जायज और नाजायज सभी तरह के कार्य सदियों से होते रहे हैं।

पूरे साल धर्म, धार्मिकता और जातिवाद पर बहस होती रही। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मुसलमान है या ईसाई, यह भी बहस का विषय बना रहा। दुनिया भर में कहीं भी हुए चुनाव में जातिवाद बनाम विकास के मुद्दे पर भी बहस होती रही। यह बहस उसी तरह होती रही जैसे कि हमेशा यह बहस की जाती रही है।

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योग का विरोध :
हालाँकि इस सबके बीच जहाँ अमेरिका और योरप में योग का पुरजोर विरोध हुआ वहीं वहाँ के चर्चों ने योग को अपनाया भी है। इस सबके चलते पहले कि अपेक्षा वर्ष 2010 में वहाँ योगा क्लासों की तादाद और बढ़ गई। अब अमेरिका और भारत में योग को हिंदू धर्म से अलग किए जाने के लिए नए-नए तर्क जुटाए जा रहे हैं। लेकिन भारतीय मूल के कुछ अमेरिकी लोग अमेरिका में जो 'टेक बैक योगा' नाम से एक अभियान चला रहे हैं उसका असर तो अगले वर्ष ही देखने को मिलेगा। योग गुरु दीपक चोपड़ा इस अभियान को हिंदू कट्टरता कहकर खारिज करते हैं। इस बीच बाबा रामदेव ने घोषणा की कि मैं योग के बल पर 150 वर्ष जिंदा रहूँगा।

जर्मन में इस्लाम :
उधर सितंबर-अक्टूबर में जर्मनी में इस्लाम पर जोरदार बहस हुई। जर्मन राष्ट्रपति क्रिश्टियान वुल्फ का कहना है कि इस्लाम जर्मनी का हिस्सा है। चाँसलर अंगेला मैर्केल उनसे सहमत हैं, लेकिन उनका कहना है कि मुसलमानों को महिला और पुरुषों की समानता जैसे जर्मन आधारभूत मूल्यों का पालन करना चाहिए। राष्ट्रपति के इस बयान पर पुरा मुल्क बहस कर रहा है।

बहस चलती रहेगी उसी तरह की इस्लाम में टैटू बनवाना जायज है या नाजायज? बहुतेरे ऐसे रिवाज, परंपरा और फैशन है जिसे इस्लाम के मुल्ला जायज या नाजायज ठहराते रहते हैं और इस पर बहस चलती रहती है।

इस्लाम पर बहस :
हालाँकि इस्लाम पर बहस नई नहीं है और भी मुल्कों में बहुत तरह कि बहस चलती रही है। मसलन की यह बहस तो सभी मुल्कों में जारी है कि इस्लाम और आतंकवाद का क्या रिश्ता है या कि इस्लाम का आतंक से कोई नाता नहीं है। बहुत लोग मानते हैं कि आतंकवाद के कारण पुरी ‍दुनिया में इस्लाम की छवि खराब हो गई है। कुछ कहते हैं कि यह बुनियादी रूप से ऐसा ही है।

इस्लाम की कथित आलोचना करती फिल्म की पटकथा लिखने की वजह से खतरे के साए में जी रहीं हॉलैंड की राजनेता और धर्म की प्रमुख आलोचक 'अयान हिरसी अली' का मानना है कि इस्लाम पर व्यापक बहस होनी चाहिए और दुनिया भर में उसकी ‘व्यवस्थित समीक्षा’ की जानी चाहिए।

ग्राउंड जीरो विवाद :
अमेरिका में तो इस्लाम को लेकर जोरदार बहस चलती ही रहती है। हालाँकि पिछले पूरे वर्ष यही चलता रहा की ग्राउंड जीरो के नजदीक मस्जिद बने या नहीं बने। ग्राउंड जीरो वह जगह है जहाँ पर 9/11 के शहीदों का स्मारक बना है।

न्यूयॉर्क के मेयर माइकल ब्लूमबर्ग मुस्लिम समुदाय की धार्मिक आजादी के फेवर में हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी मस्जिद बनाने का खुलकर समर्थन किया था जिसके चलते उनकी लोकप्रियता घटती गई। लेकिन ग्राउंड जीरो के पास 13 मंजिला मस्जिद बनाए जाने का जोरदार विरोध करने वाले एक चर्च ने तो कुरआन की प्रतियाँ जलाने की धमकी तक दे दी थी। हालाँकि मामला अभी ठंडे बस्ते में है।

गौरतलब है कि न्यूयॉर्क की एक मुस्लिम स्वयंसेवी संस्था कोरडोबा इंस्टीटयूट ने ग्राउंड जीरो पर मस्जिद निर्माण की यह योजना बनाई है। मस्जिदें तो पाकिस्तान में बहुत है, लेकिन कट्टरपंथ के चलते अहमदिया समुदाय और शियाओं की मस्जिदों पर शुक्रवार की नमाज के दौरान जो हमले हुए हैं उसके चलते अब तक सैंकड़ों निर्दोष मुसलमान मारे गए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में आतंकवाद का शिकार मुसलमान ही अधिक हुआ है।

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अयोध्या विवाद :
इधर भारत में राम जन्मभूमि और बाबरी ढाँचे को लेकर 30 सितंबर को लखनऊ हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया। फैसला आने की तारिख के बाद दंगे भड़कने की आशंका से पूरा देश सहमा-सहमा सा रहा और कॉमनवेल्थ भी शुरू होने वाले थे। लेकिन कोर्ट ने विवादित स्थल को तीन हिस्से में बाँट दिया। पहला राम जन्मभूमि, दूसरा मस्जिद के लिए और तीसरा निर्मोही अखाड़ा के लिए।

तीनों इस बात के लिए खुश नहीं थे कि जो बँटवारा हुआ वह सही हुआ बल्कि इसके लिए खुश थे कि दंगे नहीं हुए। इसीलिए चारों तरफ सौहार्द की चर्चा होने लगी, लेकिन धीरे-धीरे तीनों ही सुप्रीम कोर्ट की शरण में चले गए। उधर संघ ने पूरे भारत वर्ष में जहाँ पथ संचलन के माध्यम से मंदिर मुद्दे के प्रति जहाँ लोगों को जाग्रत करने का प्रयास किया वहीं

पोप की परेशानी :
पूरे वर्ष कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप बेनेडिक्ट 16वें बहुत परेशानी में रहे। पोप पर आरोप था कि पोप बनने से पहले म्यूनिख का आर्कबिशप और वैटिकन की आस्था सभा (कॉन्ग्रेगेशन ऑफ फेथ) का प्रमुख रहते हुए उन्होंने बाल यौन शोषण के दोषी पादरियों का बचाव किया था। 2001 में अमेरिका और आयरलैंड में ऐसे कई मुकदमे हुए जिनमें आरोप लगाया गया था कि पादरियों ने बच्चों का यौन शोषण किया और उनके वरिष्ठों ने उन मामलों को रफा-दफा करके परोक्ष रूप से ऐसे आपराधिक आचरण को बढ़ावा दिया। इसका खुलासा 2010 में हुआ। हालाँकि पोप अपने बयानों को लेकर आए दिन चर्चा में बने ही रहते हैं। हाल ही में उन्होंने आखिरकार कह ही दिया की कंडोम का प्रयोग उचित है।

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त्योहारों में रही रोनक :
14 जनवरी को मकर संक्रांति से कुंभ की शुरुआत हुई इसलिए इस बार मकर संक्रांति पर भी रोनक रही। मार्च में होली का रंग भी जमकर जमा, लोगों ने प्राकृतिक रंग का ज्यादा इस्तेमाल किया और जमकर जश्न मनाया। रमजान और दीपावली में भी बाजारों में रौनक रही। दोनों ही ईद धूम-धाम से मनाई गई। हर वर्ष मार्च में होने वाला होलिका दहन इस बार 28 फरवरी को आया। यह संयोग 19 साल बाद बना और अब फिर 19 साल बाद 2029 में ही ऐसा होगा। फरवरी में ही महाशिवरात्री की रौनक भी अलग ही रही।

इस बार छठ पूजा की छटा भी देखने लायक थी। झूलेलाल महोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। शिर्डी में भी पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 24 व 25 जुलाई को गुरु पूर्णिमा उत्सव में उत्साह ज्यादा नजर आया। अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज का 798वाँ उर्स भी मुस्लिम समुदाय ने धूमधाम से मनाया। गुड़ी पड़वा से चैत्र नवरात्र की शुरुआत भी उत्साहमयी रही। 25 दिसंबर को क्रिसमस के दिन ठंड का असर जबरदस्त था फिर भी लोगों ने धूमधाम से क्रिसमस मनाया। इस बार भारतीय चर्चों में इसाइयों से ज्यादा हिन्दूओं की भीड़ आश्चर्य का विषय रही।

धर्म यात्रा :
नवरात्रि पर वैष्णो देवी के तीर्थस्थान सहित माता के सभी प्रमुख स्थानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना का समाचार नहीं मिला। जुलाई में पाकिस्तान से आए 213 हिन्दू श्रद्धालुओं ने भी वैष्णो माता के दर्शन किए। जुलाई में ही सभी व्यावधानों और खतरे के बावजूद रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु अमरनाथ पहुँचे। रिकॉर्ड तो वैष्णो देवी यात्रा का तब टूटा, जब ‍82 लाख से ज्यादा लोगों ने माता के दर्शन किए। रिकॉर्ड तो हज यात्रा का भी टूटा। मक्काह में इकट्ठे होने वाले में सबसे ज्यादा भारतीय ही रहते हैं।

मानसरोवर यात्रा की खास बात यह कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल के अभियान दल ने कैलाश मानसरोवर यात्रा का प्राचीन रास्ता खोज निकाला है जिसका यात्रा के दौरान किसी विपत्ति की स्थिति में इस्तेमाल किया जा सकता है।

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हाँ, शिर्डी जाने वालों के खुशखबर यह कि 'साईं दर्शन' अब वे वीआईपी टिकट पर जल्दी से कर सकेंगे। तुरंत दर्शन के लिए 100 रुपए प्रस्तावित है। सूत्रों के अनुसार काकड़ आरती के लिए प्रति व्यक्ति 500 रुपए और बाकी आरतियों के लिए प्रति व्यक्ति 300 रुपए लिए जा सकते हैं। इस निर्णय से साईं दरबार की तिजोरी में सालाना चार सौ करोड़ रुपए जमा होने की उम्मीद जताई जा रही है। यहाँ प्रतिदिन 35 से 40 हजार भक्त दर्शन हेतु आते हैं जो सालाना 250 करोड़ रुपए का दान देते हैं। हालाँकि इस शुल्क व्यवस्था की आलोचना हुई है और बहस अभी जारी है।

महाकुंभ में बहस :
14 जनवरी 2010 में कुंभ का आयोजन का आगाज हुआ जिसमें फर्जी शंकराचार्यों का मुद्दा खासा गरम रहा। शाही स्नान और सोमवती अमावस्या का संयोग लगभग 750 वर्ष बाद बना, इसलिए हिंदू श्रद्धालुओं में भी खासा उत्साह देखने को मिला। लगभग 25 लाख लोगों ने डुबकी लगाईं। 14 अप्रैल बैसाखी पर प्रमुख शाही स्नान और 28 अप्रैल को अंतिम स्नान आयोजित हुआ।

राजनीति में धर्म :
धर्म और राजनीति का तो चोली-दामन का साथ कहा जाता है। सभी देशों की सरकारें धर्म आधारित राजनीति करती आई हैं और करती रहेंगी। ताजा मामले में विक्कीलीक्स पर जारी अमेरिका के एक गोपनीय दस्तावेज से खुलासा हुआ कि मुंबई हमले के बाद कांग्रेस पार्टी का एक वर्ग धर्म आधारित राजनीति करते नजर आया था। हालाँकि अब तक उस पर तुष्टिकरण की नीति के आरोप तो लगते ही रहे हैं और दूसरी और अन्य पार्टियाँ तो धर्म आधारित कु-राजनीति को करते ही आए हैं। यह उदाहरण सबूत है कि धर्मनिरपेक्ष पार्टियाँ भी धर्मनिरपेक्ष नहीं रह सकती।

जाति आधारित जनगणणना :
जनगणना- 2010 सरकार का अब तक का सबसे बड़ा और सबसे महत्वाकांक्षी जन अभियान माना गया। इसमें सिर्फ लोगों की गिनती ही नहीं, बल्कि हर परिवार के बारे में धर्म और जाति के अलावा संपत्ति, शिक्षा और कर जैसी 48 और सूचनाएँ भी इकट्‍ठी की जानी हैं। इस सबको लेकर यह योजना खासी विवाद में रही।

रोचक घटना :
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* अप्रैल 2010 को मेंगलोर (कर्नाटक) के निकट सुब्रह्मण्यम् में पाँच फन वाले दुर्लभ नागराज के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा था। एक मकान में अचानक प्रकट हुए पाँच फन वाले नागराज ने यह सिद्ध कर दिया है कि परलौकिक सहस्रफनीय शेषनाग के पंचफनीय लौकिक वंशज का अस्तित्व अभी भी पृथ्वी पर हैं। हिन्दू धर्म में नाग पूजा का विधान है।
* दूसरी ओर गुजरात के बनासकाँठा जिले में एक मंदिर की गुफा में रहने वाले 81 वर्षीय प्रह्लादभाई जानी उर्फ माताजी ने 70 वर्षों से अन्न-जल का त्याग कर रखा है और यह बात स्वास्थ्य विशेषज्ञों को आश्चर्य में डाले हुए हैं। डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलायड साइसेंस के विशेषज्ञ, स्टर्लिंग अस्पताल के डॉक्टरों ने प्रह्लादभाई की जाँच करके जाना की यह सचमुच आश्चर्य है।
* किताबों की दुनिया से नई खबर यह कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संस्थान कौमी कौंसिल बराय फरोग-ए-उर्दू जबान ने उर्दू को आपके घर तक पहुँचाने की जिम्मेदारी पूरी कर दी है। इसी के तहत उर्दू में श्रीमद् भागवत गीता है तो उर्दू में ही सूरदास का कलाम भी है।
* दूसरी ओर बिलासपुर के रॉक में श्रमिक दंपति के घर अद्भुत बालक का जन्म हुआ। जन्म के समय शिशु के माथे पर तीसरी आँख, सिर में जटा व चंद्रभाल थे। उसे भगवान शंकर का अवतार समझकर लोग दर्शन करने उमड़ पड़े। इसके संबंध में लोग कुछ समझ पाते, उससे पहले ही वह दुनिया से अलविदा हो गया।

निधन : मौलिक चिंतक, दार्शनिक और प्रखर विचारक के रूप में विख्यात तेरापंथ धर्मसंघ के दसवें आचार्य महाप्रज्ञ का राजस्थान के चुरू जिले के सरदारशहर में देवलोकगमन हो गया। वे करीब 90 वर्ष के थे। वे गत 25 अप्रैल को चातुर्मास के लिए सरदारशहर आए थे और वहाँ गोठियों की हवेली में ठहरे हुए थे।

दूसरी ओर अनंत श्रीविभूषित महामंडलेश्वर नैष्ठिक ब्रह्मचारी राघवानंदजी का सौ वर्ष की आयु में 1 दिसंबर, बुधवार सुबह देवलोकगमन हो गया। अपराह्न में हजारों शिष्यों की उपस्थिति में महेश्वर के नर्मदा में जलसमाधि दी गई।

अंतत: जो वर्तमान है :
श्रीश्री रविशंकर जी, बाबा रामदेव, आसाराम जी, सत्यसाईं बाबा, दादीमाई, निर्मलामाई, अमृतानंदज‍ी, दलाई लामा और तमाम अन्य गुरुओं और संतों का प्रचार-प्रसार और प्रवचन जारी रहा। छुटपुट विवाद के अलावा कुछ खास नहीं। श्रीश्री पर जानलेवा हमला हुआ था। दूसरी ओर खबर थी कि बाबा रामदेव ने अपने दिल की जाँच कराई। इस सबके बीच 2010 में नए संतों, गुरुओं, ज्योतिषियों आदि धार्मिक कार्य करने वालों की तादाद जरूर बढ़ गई है।

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