स्पेन की 22 वर्षीय कैरोलिना मारिन को ओलंपिक का गोल्ड दिलाने के पीछे उनके कोच फर्नांडो रिवास का भी हाथ है। कैरोलिना के दूसरे खिताब जीतने के बाद फर्नांडो ने स्पेन में एक नई परंपरा का सूत्रपात किया। उन्होंने बैडमिंटन से चीनी खिलाड़ियों और कोचों के दबदबे को समाप्त करने का संकल्प लिया और मारिन के ओलंपिक गोल्ड के साथ उसे साकार भी कर दिया।
कैरोलिना मारिया मारिन मार्टिन स्पेन की तरफ से खेलने वाली विश्व की शीर्ष दस महिला बैडमिंटन खिलाड़ियों में से एक हैं। सितंबर 2015 में विश्व बैडमिंटन के महिला एकल श्रेणी में इनकी वरीयता दूसरे स्थान पर थीं, लेकिन फिलहाल वे रैंकिंग में शीर्ष पर हैं। वे महिला एकल प्रतियोगिताओं में 2014 और 2015 में विश्व विजेता रह चुकी हैं।
लेकिन, जब वे स्पेन में खेलती थीं तो उन्हें अभ्यास के लिए सही जोड़ीदार भी नहीं मिलता था। फर्नांडो रिवास के उनके साथ होने के साथ यह समस्या समाप्त हो गई। रिवाज एक ऐसे कोच हैं जो कि दोनों हाथों से बैडमिंटन खेल सकते हैं। गिटार बजाने के शौकीन रिवास अपने पास एक आईपैड रखते हैं जिसमें दुनिया के सभी बड़े खिलाड़ियों की खूबियों और खामियां का विवरण भरा है।
मात्र दो सीजन में उन्होंने मारिन को चैंपियन बना दिया और उन्हें कहा कि वे चीनी कोचिंग से भयभीत न हों। उनकी दूसरी बड़ी विशेषता यह है कि वे अपने प्रशिक्षण में सभी प्रकार की साइंस और तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जो काम कोरियाई और जापानी पिछले कई वर्षों से करने का प्रयास कर रहे हैं। उसका सफल इस्तेमाल करना उन्होंने खोज लिया और खेल की एशियाई शैली को दरकिनार कर अपनी तरह की यूरोपीय शैली विकसित की।
वे स्पोर्ट्स साइंस के जानकार हैं और उनका मानना था कि खेल को लेकर चीनी अप्रोच अलग है लेकिन वे मारिन को बैडमिंटन को एक फिजिकल स्पोर्ट के तौर पर सिखाने में सफल रहे हैं। रिवाज ने बैडमिंटन, टेबल टेनिस और टेनिस भी खेला है, लेकिन वे स्वयं बैडमिंटन में कोई विश्वस्तरीय सफलता नहीं पा सके इसलिए उन्होंने 'गर्ल नडाल' को ही विश्वविजेता बनाने की ठानी।
उल्लेखनीय है कि रिवास यूरोप की आठ भाषाएं जानते हैं और अपनी कोचिंग में नए-नए प्रयोग करने के लिए जाने जाते हैं। उनकी देखरेख में 31 अगस्त 2014 को मारिन ने बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन प्रतियोगिता के महिला एकल फाइनल मुकाबले में चीन की शीर्ष खिलाड़ी ली झुइरुई को हराया। वे वैश्विक बैडमिंटन खिताब जीतने वाली पहली स्पेनी और 1977 में लेन कोप्पेन व 1999 में कैमिला मार्टिन के बाद तीसरी यूरोपीय महिला खिलाड़ी बनीं। सिर्फ 21 वर्ष की आयु में कोई विश्व स्तरीय बैडमिंटन प्रतियोगिता जीतने वाली वे पहली यूरोपीय महिला भी बन गई थीं।
आठ मार्च 2015 को फाइनल में साइना नेहवाल को हराकर उन्होंने ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन प्रतियोगिता जीतकर अपना पहला सुपर सीरीज प्रीमियर खिताब जीता था। इस खिताब ने उन्हें विश्व में चौथी वरीयता दिलाई थी। अब अगर मारिना ने ओलंपिक गोल्ड मैडल जीत लिया है तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि उनके पास विश्व के सबसे आधुनिक कोच रिवास जो हैं।