रियो डि जेनेरियो। साक्षी मलिक ने महिला कुश्ती की 58 किग्रा स्पर्धा में रेपेचेज के जरिये कांस्य पदक जीतकर आज यहां रियो ओलंपिक खेलों में भारत को पदक तालिका में जगह दिलाई और 11 दिन की मायूसी के बाद भारतीय प्रशंसकों को जश्न मनाने का मौका दिया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पीएम मोदी ने उन्हें पदक जीतने पर बधाई दी।
भारत का रियो ओलंपिक में पदक का इंतजार आखिर 12 वें दिन जाकर समाप्त हुआ और इस इंतजार को समाप्त किया हरियाणा की शेरनी साक्षी मलिक ने, जिन्होंने 0-5 से पिछड़ने के बाद करिश्माई वापसी करते हुए किर्गिजस्तान की एसुलू तिनिबेकोवा को 8-5 से पराजित किया। साक्षी इस तरह ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गईं।
साक्षी ने कांस्य पदक जीतने में वही कारनामा कर दिखाया जो महान सुशील कुमार ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में रेपचेज में कांस्य पदक जीत कर और 2012 के लंदन ओलंपिक में योगेश्वर दत्त ने रेपचेज में ही कांस्य पदक जीत कर किया था।
भारतीय पहलवान क्वार्टर फाइनल में हार गई थी लेकिन उनकी विपक्षी रूसी पहलवान के फाइनल में पहुँचने के कारण साक्षी को रेपचेज में उतरने का मौका मिला। रेपचेज में साक्षी ने मंगोलिया की ओरखोम बरवोर्ज को 12-3 से पीटकर कांस्य पदक मुकाबले में जगह बना ली।
साक्षी कांस्य पदक से एक जीत दूर थी और भारतीय समयनुसार रात ढार्इ बजे के करीब हुये इस मुकाबले में जैसे पूरे देश की निगाहे लगी हुर्इ थी। साक्षी का मुकाबला किर्गिजस्तान की तिनिबेकोवा से था। पहले राउण्ड में पैसिव अंक से शुरुआत की और फिर 2 अंक लेकर अपनी बढ़त को 3-0 पहुँचा दिया। पहले राउण्ड की समाप्ति पर साक्षी 0-5 से पीछे हो चुकी थी।
'कमबैक क्वीन' कही जाने वाली साक्षी ने अपने नाम की प्रतिष्ठा के अनुरूप दूसरे राउण्ड में जबरदस्त वापसी करते हुए सारा पासा पलट दिया। उन्होंने दो अंक लेकर स्कोर 2-5 किया और फिर दो अंक लेकर स्कोर 4-5 कर दिया। साक्षी का हौसला बुलंद हो चुका था और उन्होंने स्कोर 5-5 की बराबरी पर ला दिया।
भारतीय पहलवान ने गजब के दाव पेंच दिखाते हुए दो अंक लेकर 7-5 की बढ़त बनार्इ और फिर 8-5 से मुकाबला और कांस्य पदक जीत लिया।
साक्षी के पदक जीतते ही भारतीय कोच ने मैट पर दौड़कर साक्षी को हाथों में उठा लिया। साक्षी ने फिर तिरंगा लेकर मैट पर चक्कर लगा कर भारतीय समर्थकों का अभिवादन स्वीकार किया। पदक वितरण समारोह में जब साक्षी के गले में कांस्य पदक पहनाया गया तो उनके चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी।
साक्षी बार बार अपने हाथों में पदक को लेकर उसे देख रही थी। मानो वह कहना चाह रही हो कि मैने वह कर दिखाया जिसका पूरे देश को इंतजार था। (वार्ता)