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आखिर क्यों....?

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जनकसिंह झाला

आखिर क्यों हमें छोड़कर चले गए,
रिश्तों की दीवार को तोड़कर चले गए..।

सिर्फ अकेला आज मैं नहीं रोया,
दिन भी रोया और रात भी रोई,
तुमसे जुड़ी वो बात भी रोई,
बोलकर यूँ ही जिसे तुम चले गए..॥

आखिर क्यों हमें छोड़कर चले गए,
प्यार की राहों को मोड़कर चले गए..।

हम भी बुरे फँसे इन प्यार के जालों में,
जिंदगी जीने लगे थे लम्बे ख्यालों में,
खुशियाँ दामन में समेट अपने,
अश्क इन आँखों में छोड़ तुम चले गए..।

आखिर क्यों हमें छोड़कर चले गए..
साँसों की डोर को तोड़कर तुम चले गए..।

बंधन तुमने तोड़ा कई सालों का,
मगर जवाब मैं दूँगा उठते सवालों का,
प्यार की परीक्षा में तुम भी तो साथ थे,,
पास तुम हुए, बस फेल होकर हम रह गए..॥

आखिर क्यों हमें छोड़कर चलगए...

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