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आज फिर उनसे...

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जनकसिंह झाला

आज फिर उनसे बात हो गई,
एक अनचाही मुलाकात हो गई,
आँखें चुराते देखते रहे एक-दूजे को
वो घड़ियाँ भी सच में कुछ खास हो गई..।

उन्होंने कहा कैसे हैं आप,
हमने कहा जैसे हैं आप,
वो बोले अब हम हुए पराए,
बात सुन उनकी हम कुछ ना बोल पाए..।

दूरियाँ मिटी कुछ पल के लिए,
अब मुश्किल है मिल पाना कल के लिए,
मुरझाया अब तो प्यार का वह गुलशन भी,
जिसे धूप में भी छाँव की आस हो गई..।

आज उनसे फिर बात हो गई,
एक अनचाही मुलाकात हो गई।

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