- शाह हातिम
आशिक़ का जहाँ में घर न देखा
ऐसा कोई दर-बदर न देखा
जैसा कि उड़े है ताइरे-दिल
ऐसा कोई तेज़-पर न देखा
खूबाने-जहाँ हों जिससे तस्खीर
ऐसा कोई हम हुनर न देखा
उस तेग़े-निगाह से हो मुकाबिल
ऐसा कोई बेजिगर न देखा
जो आब है आबरू में 'हातिम'
ऐसा कोई हम गुहर न देखा