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एक दिन जरूर आओगे तुम

प्रेम कविता

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दीपाली पाटील
ND
जब तुम होते हो कोसों दूर
यहाँ मेघ घिर आते हैं
रात भिगोकर आँसुओं में
सुबह कहीं खो जाते हैं।

फिर भोर जागती अलसाई सी
पंछी धीमे चहकते हैं
फूलों के चेहरे पर मोती बन
ओस बिन्दू दमकते हैं।

कच्चे अमरूद खाती कोयल
मुंडेर पर आ धमकती है,
भीगी पलकों की बातों को
मीठी कूक में समेटती है।

फिर सूनी पगडंडियों पर जा
तेरी राहें तकती हैं
हिमगिरी के धवल शिखरों से
सिन्दूरी शाम जब ढलती है,
फिर सुनापन छा जाता
मेरी हथेलियाँ भिगती हैं,
एक दिन जरूर आओगे तुम
मन की आशा कहती है।

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