भगवत रावत
लिखी जा नहीं सकेगी कभी तुम्हारे बिना
तृप्ति के बाद की शांति
धमनियों-शिराओं में बहती
नि:शब्द
नीरवता की आवाज
देह का कामनाओं से मुक्त होना
इच्छाओं का थक कर सो जाना
निष्कम्प लौ की तरह जागते मद्धिम प्रकाश
इंद्रियों का खो-सा जाना
तुम हो तो है इस तरह
एक और सुबह पाने की उम्मीद की नींद।