- लक्ष्मीनारायण खरे
गम जुदाई का
देखो तुम करना नहीं
यादों की गलियों से
कभी तुम गुजरना नहीं
पी लेना अश्क पर
आँख भिगोना नहीं
देखो तुम रोना नहीं।
माना कि हमसे
दूर तुम हो जाओगे
मिलने को हमसे
मजबूर तुम हो जाओगे
आँखों से पर कभी
तस्वीर मेरी खोना नहीं
देखो तुम रोना नहीं।
अश्कों का सैलाब
तुम रोक नहीं पाओगे
भीगी पलकें तुम
पोंछ नहीं पाओगे
बचाए रखना पर सपने मेरे
आँखों से तुम धोना नहीं
देखो तुम रोना नहीं।
तुम दूर सही पर तुम्हारा
मन मेरे पास है
न सही स्पर्श, तुम्हारी
चाहत का अहसास है
याद न हो जहाँ तुम्हारी
ऐसा दिल में कोई कोना नहीं
देखो तुम रोना नहीं।
मिल न सके तुमसे हम
यही किस्मत को मंजूर है
पाना और खोना ही तो
चाहत का दस्तूर है
जिसने है पाया तुमको
उसे मेरे लिए खोना नहीं
देखो तुम रोना नहीं।
महके तुमसे सदा तुम्हारे
साजन की बगिया
मत सोचो कहाँ कैसे
किसकी उजड़ी दुनिया
खुश रहना, बीज दुःखों के
दिल में तुम बोना नहीं
देखो तुम रोना नहीं॥