- सतपाल ख्याल
निभाई है यहाँ हमने मोहब्बत भी सलीके से
दिए जो रंज़ो-ग़म इसने, लगाए हमने सीने से
जो टूटे शाख से यारों अभी पत्ते हरे हैं वो
यकीं कुछ देर से होगा नहीं अब दिन वो पहले से
हमेशा ज़िंदगी जी है यहाँ औरों की शर्तों पर
मिले मौका अगर फिर से जिऊँ अपने तरीके से
न की तदबीर ही कोई, न थी तकदीर कुछ जिनकी
सवालों और ख्यालों मे मिले हैं अब वो उलझे से।
घरों से उबकर अब लोग मैखाने मे आ बैठे
सजी हैं महफिलें देखो यहाँ कितने क़रीने से
'ख्याल' अपनी ही करता है कहाँ वो मेरी सुनता है
नज़र आते हैं उसके तो मुझे तेवर ही बदले से।