- राजेंद्र कुशवाह
तुम्हारे दामन में जो सुकून
मैंने पाया है
मैं व्यक्त नहीं कर सकता कि
मैंने क्या पाया है
तुम कहती हो कि चाहत नहीं है
तुम्हें मुझसे
पर मैंने तो सिर्फ
तुम्हें चाहा है
तुमसे लिपटकर जब...
इतना सुकून दिल ने पाया है
तो...कल्पना भी नहीं कर सकता
मेरा मन....
कि जब तुम खुद
मेरे पास आओगी तो
कैसे संभालूँगा मैं
तुम्हारे साथ बिताए हुए पल
मेरा दामन छोटा पड़ जाएगा
जगह-जगह से बिखर जाएँगे
मेरे तुम्हारे पल
सच कहता हूँ मैं कि
मेरी सारी जिंदगी तुम्हारे ही
इर्द-गिर्द गुजर जाएँगी।