शीशा टूटे या न टूटे,
फिर से दिल तो टूटेगा।
महंगाई की मार पड़ेगी,
प्रिय से प्रेमी रूठेगा।
महंगे-महंगे कपड़े मांगे,
प्रेमनगर भी जाना है।
प्रिय प्रवाह होटल में बैठकर,
प्रेम प्रसाद भी खाना है।
खाता देख के प्रेमीजी के,
आंख से आंसू छूटेगा।
प्रेमवती गाड़ी लेना है,
प्रेम भवन बनवाना है।
प्रेमातुर पिक्चर देखेंगे,
प्रेमबाग भी जाना है।
5 लाख का बजट देखकर,
प्रेमी खजाना लूटेंगे।
प्रेम रतन जो पुष्प लगाना,
प्रिया की सेज सजाना है।
सोलह सिंगार को पूरा करना,
खुशियां का मौसम लाना है।
सोच-सोच के प्रेमी राजा के,
मुंह से गुब्बारे फूटेंगे।