प्रीति सोनी
वो एक एहसास चला गया
अपनों के बीच से उठकर,
सो गई ये वादियां, सितारे बोलने लगे
तुम आने को हो, अब ये राज खोलने लगे
हट के अपनी मंजिलों से राह चल पड़ी,
राह के किनारे मंजिल खड़ी मिली
गुलशन में जो महकता सुवास चला गया
रोनी सी शक्ल रह गई और हास चला गया
तुम क्या गए.. वो एक एहसास चला गया
अपनों के बीच से उठकर, कोई खास चला गया...