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प्रेमगीत : ये इशारे कहें प्यार हो ही गया...

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राकेश श्रीवास्तव 'नाजुक'

तेरी पलकें झुकी देखते ही मुझे, 
मैंने माना कि इजहार हो ही गया।
होठ तेरे गुलाबी गुलाबी हुए, 
ये इशारे कहें प्यार हो ही गया।
 
जब बसंती हवा शोर करने लगी,
इन गुलों की भी किस्मत संवरने लगी।
तूने मधुबन में अपने कदम जो रखे,
भंवरों की टोलियां आहें भरने लगीं।
 
मुद्दतों से चमन जो था उजड़ा हुआ,
तेरे आने से गुलजार हो ही गया।
होठ तेरे गुलाबी गुलाबी हुए, 
ये इशारे कहें प्यार हो ही गया।
 
जब तू आई सनम छत पे कल रात को,
चांद भी देखकर तुझको शरमा गया।
रातभर आसमां पे बहस ये चली,
कौन आकर सितारों को बहका गया।
 
चांद-तारे गुलों की कहूं क्या सनम, 
रब भी तेरा तलबगार हो ही गया।
होठ तेरे गुलाबी गुलाबी हुए, 
ये इशारे कहें प्यार हो ही गया।
 
तेरे हाथों में खनके हरी चूड़ियां, 
मेरे मन, तेरे मन की घटी दूरियां।
मेरा दिल जाने क्यूं अब लगे ना कहीं, 
मैं बताऊं तुम्हें कैसे मजबूरियां।
 
तेरे नैना बड़े बावरे हो गए, 
मैंने माना कि इकरार हो ही गया।
होठ तेरे गुलाबी गुलाबी हुए, 
ये इशारे कहें प्यार हो ही गया।

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