प्रीति सोनी
जब तुम ख्वाबों में होते हो,
वे ख्वाब भी सच हो जाते हैं
जब तुम ख्वाबों में होते हो
मैं उड़ती पंक्षी की तरह,
तुम होते सारा आकाश
मैं प्यासी अरमानों की
तुम प्रेम से उसे भिगोते हो
जब तुम ख्वाबों में होते हो
पानी में छलांग लगाती
हवा के संग लहराती
तुम बस मुझको देखते रहते
जब भी सामने आती
नैनों के संसार में मुझको
तुम कुछ ऐसे भिगोते हो
जब तुम ख्वाबों में होते हो
प्रेम ही बिखरा होता
तुम संग गाती राग प्रेम की
तब कुछ गहरा होता
कहती हूं मैं ,तुम मुस्काते
मौन ही रह कर कहते हो
जब तुम ख्वाबों में होते हो
जब तुम ख्वाबों में होते हो,
वे ख्वाब भी सच हो जाते हैं
जब तुम ख्वाबों में होते हो