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प्रेम कविता : तुम्हारी चाहतों में...

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शम्भू नाथ

सर्द है हवाएं, बेदर्द बना मौसम।
तुम्हारी ही चाहतों में।
रातें गुजारते है।
 

 
करवट बदल-बदल के।
सोचते-विचारते है।
तुम्हारी ही चाहतों में।
रातें गुजारते है।
 
आती है याद जो।
छुप-छुप के बिताए थे।
तुम्हें भी याद होगा जो।
गीत गाए थे।
 
दर्द अपने दिल का।
लिख कर निकालते है।
तुम्हारी ही चाहतों में।
रातें गुजारते है। 

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