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अब कोई नहीं है संग
इस गर्मी में मत फूलना दमकते अमलतास मेरे मन के कच्चे आंगन में कि मैं नहीं करती अब किसी को याद, चंपा, तुम मत झरना मेरे आंचल के पास, मैं नहीं फैलाऊंगी उसे तुम्हारे साये में कि नहीं महसूसती मैं अब किसी का प्यार...! लाल सूर्ख पत्ते वाले अंथोरियम, बहुत चूभता है अब तुम्हारा रंग, मुंह फेर लो तुम भी कि अब कोई नहीं है संग... !