माँगीलाल मोदी
आए थे वो मेरी ज़िंदगी में
बहार की तरह।
वादों से अपने आज मुकर गए हैं
मौसम की तरह।
अब है वीरान ज़िंदगी मेरी
पतझड़ की तरह।
देखो भुला दिया है उसने मुझे
किसी सपने की तरह!!
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याद तेरी
हर पल मुझे सताती है
तन्हाई में रूलाती है
याद तेरी...
किसी हसीन ख्वाब की तरह
मेरी नजरों में समा जाती है
याद तेरी...
फूलों की तरह महकती है
और इस तपन में भी
सावन की फुहार सी लगती है
याद तेरी...